दिल्ली हाईकोर्ट ने एयर इंडिया के हड़ताली पायलटों को इसके उस आदेश नहीं मानने के लिए अवमानना नोटिस जारी किए जिसके अनुसार उनकी हड़ताल को अवैध करार दिया गया था।
गौरतलब है कि एयर इंडिया के पायलटों की हड़ताल बुधवार को 16वें दिन में प्रवेश कर गई। इस बीच, इंडियन पायलट गिल्ड ने कहा है कि हड़ताली पायलट वार्ता के लिए इच्छुक हैं, बशर्ते उनके बर्खास्त सहकर्मियों को वापस ले लिया जाए।
नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने कहा कि हमने कई बार कहा है कि हम बातचीत के लिए इच्छुक हैं लेकिन वे बात करना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि यह अवैध हड़ताल है और इस हड़ताल के पीछे कोई मुद्दे नहीं हैं। सिंह ने कहा कि एयर इंडिया प्रंबधन वे सभी कदम उठा रहा है जो उन्हें लेने चाहिए। प्रबंधन ने अब तक बीमारी की सूचना देने या काम पर नहीं आने वाले 101 हड़ताली पायलटों को बर्खास्त किया है। हड़ताल से प्रभावित एयर इंडिया ने आपात योजना के तहत सीमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू की हैं और एक जून तक ताजा बुकिंग रोक दी गई है।
एयर इंडिया ने बुधवार को इस आधार पर याचिका दायर की है कि प्रदर्शनकारियों ने अदालत के पिछले आदेश का पालन नहीं किया जिसमें उन्हें हड़ताल करने से मनाही थी। वकील ललित भसीन के माध्यम से दायर याचिका में एयर इंडिया प्रबंधन ने कहा कि अदालत के मना करने के आदेश के बावजूद हड़ताली पायलटों को उनके मुद्दे के समाधान के लिए कई अवसर दिए गए लेकिन वे मामले के समाधान में विफल रहे।
एयर इंडिया के वकील याचिका पर आज ही सुनवाई के लिए इसे संभवत: न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल के समक्ष रखेंगे जिन्होंने मनाही आदेश जारी किए थे। नौ मई को हाईकोर्ट ने उन 200 से ज्यादा पायलटों को अवैध हड़ताल करने से रोक दिया था जो खुद को बीमार बताकर काम पर नहीं आए और प्रदर्शन में शामिल थे। इसके एक दिन पहले एयरलाइन प्रबंधन ने दस पायलटों को बर्खास्त कर उनके संगठन की मान्यता रद्द कर दी थी।
इंडियन पायलट्स गिल्ड के बैनर तले पायलट बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के प्रशिक्षण को करने और उनके करियर से संबंधित मामले को सुलझाने की मांग कर रहे हैं। न्यायाधीश ने कहा था कि इस तरह की हड़ताल को अनुमति देने से कंपनी को भारी नुकसान होने के साथ ही राष्ट्रीय एयर लाइन से यात्रा करने वाले यात्रियों को काफी असुविधा होगी।
पायलटों के खिलाफ निषेधाज्ञा याचिका दायर करते हुए एयर इंडिया प्रबंधन के वकील भसीन ने हड़ताल को अवैध करार दिया था और कहा था कि पायलटों की हड़ताल के कारण कंपनी को अपनी कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द करना पड़ा जिससे यात्रियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा था कि उड़ानों के रद्द होने से एयर इंडिया को प्रति दिन दस करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ रहा है। भसीन ने कहा कि आईपीजी सदस्यों के साथ बैठक के प्रबंधन के प्रयासों के बावजूद पायलट मुद्दे के समाधान में कोई रूचि नहीं दिखा रहे।
भसीन ने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत पायलटों को हड़ताल पर जाने से पहले 14 दिनों का नोटिस देना चाहिए था। लेकिन इस मामले में आईपीजी ने कानून के प्रावधानों का पालन नहीं किया। समस्या आठ मई को शुरू हुई जब आईपीजी के पायलट सदस्यों ने बड़े पैमाने पर बीमारी की छुट्टी लेनी शुरू की। वे प्रबंधन के इस फैसले का विरोध कर रहे थे कि बोइंग 787 ड्रीमलाइन का प्रशिक्षण पूर्ववर्ती इंडियन एयरलाइंस के पायलटों को दिया जाएगा।
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