नीतीश के धर्मनिरपेक्ष छवि को लेकर प्रश्न. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 6 मई 2012

नीतीश के धर्मनिरपेक्ष छवि को लेकर प्रश्न.


राजद सुप्रीमो और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने दिल्ली में आयोजित एनसीटीसी की बैठक के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ मिलाने पर उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि को लेकर उनसे प्रश्न किया है।
   
पटना में पत्रकारों से बातचीत में लालू ने कहा कि मोदी के साथ छपी तस्वीर पर नीतीश कुमार आग-बबूला हो गए थे पर उनका नाटक अब लोगों के सामने आ गया है क्योंकि पूरे देश और दुनिया के लोगों ने नई दिल्ली में आयोजित एनसीटीसी की बैठक के दौरान उन्हें एक-दूसरे के साथ हाथ मिलाते हुए देखा और उन्होंने घंटों आपस में बातें की।
   
लालू ने कहा नीतीश कहते हैं कि वे मोदी के साथ दूरियां बरतते हैं पर कल मोदी के साथ मुलाकात के दौरान लोगों ने देखा कि वे किस तरह से मोदी के समक्ष घिघिया रहे थे। मोदी उन्हें बच्चों की तरह फटकार रहे थे। उन्होंने नीतीश पर गुजरात के सूरत में बिहार दिवस मनाने का नाटक करने का आरोप लगाते हुए कहा नरेंद्र मोदी ने ऐसा थप्पड मारा इनको कि पूछा तक नहीं, खदेड दिया और स्वयं बिहार दिवस मनाया तथा मोदी के समर्थक माने जाने वाले बिहार के मंत्री अश्विनी चौबे को केवल उक्त कार्यक्रम में बुलाया।
   
एनसीटीसी को लेकर कई मुख्यमंत्रियों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर लालू ने कहा कि उनकी पार्टी की राय है कि कोई भी काम हो सभी की सहमति से हो और टकराव की स्थिति न उत्पन्न हो। राजद सुप्रीमों ने आरोप लगाया कि नीतीश में इतना अहंकार बढ गया है कि अन्य दलों के विधायकों की बात तो दूर बिहार में जदयू के मंत्री, सांसद और विधायकों तक की बात भी नहीं सुन रहे हैं।
   
औरंगाबाद जिले में एक सरपंच की हत्या के मामले में हत्यारे को गिरफ्तार नहीं किए जाने पर राजद सहित अन्य विपक्षी दलों द्वारा आयोजित धरने पर पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण लाठी चार्ज की निंदा करते हुए लालू ने कहा कि बिहार में अराजकता का मौहाल है और नीतीश सरकार और उसके प्रशासन के लोग शांतिपूर्ण जनआंदोलन करने वाले लोगों के प्रति दमनात्मक रवैया अपना रहे हैं। सिंह की गत 29 मार्च को गोह-गया राज्य उच्च पथ पर सलेमपुर गांव के पास हत्या कर दी गई थी। 

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

सत्य-असत्य, न्याय-अन्याय, धर्म-अधर्म एक दूसरे के विलोम है । जब सत्यनिरपेक्षता, न्यायनिरपेक्षता जैसे शब्द अस्तित्व में नहीं है, तो फिर धर्मनिरपेक्षता शब्द हिन्दी में संभव ही नहीं है । इसलिए भारत पंथनिरपेक्ष है । धर्मनिरपेक्ष शब्द का प्रयोग करने वाले लोग मानसिक रूप से बीमार है ।