सरकार स्विट्जरलैंड के बैंकों में रखे कालेधन पर कर वसूली के लिये ब्रिटेन और स्विट्जरलैंड के बीच हुई संधि की तरह का समझौता करने के बारे में सोच रही है। इस संधि में कर अपवंचकों की पहचान बताये बिना स्विट्जरलैंड के गोपनीय खातों में रखे धन पर कर को आपस में बांट लिया जाता है।
संसद में कालेधन पर सोमवार को पेश श्वेतपत्र के अनुसार, भारत को पहले इस बारे में फैसला लेना होगा कि क्या इस तरह का समझौता उसके राष्ट्रीय उद्देश्य को पूरा करता है। इस समझौते के तहत सरकार को स्विट्जरलैंड के साथ भारतीयों की वहां रखी गई संपत्तियों पर कर का बंटवारा करना होगा। हालांकि, ऐसा करते समय भारतीयों की पहचान को छुपाये रखा जायेगा।
श्वेतपत्र में कहा गया है कि सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार के अंदर और बाहर व्यापक चर्चा करेगी और उसके बाद ही आगे कोई कदम उठायेगी। स्विट्जरलैंड सरकार इस तरह का समझौता ब्रिटेन, जर्मनी और आस्ट्रिया के साथ पहले ही कर चुकी है। श्वेतपत्र में कहा गया है कि भारत पहले ही यह मामला स्विट्जरलैंड के समक्ष उठा चुका है, फिलहाल सरकार को आगे कोई भी कदम उठाने से पहले इस पर आने वाली लागत और संभावित फायदों के बारे में आकलन करना होगा।
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