डॉक्टरों के ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा के लिए नहीं जाने के चलन पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि ऐसी नीति बनायी जा रही है जिससे प्रत्येक एमबीबीएस डॉक्टर को अनिवार्य रूप से गांवों में एक वर्ष सेवा देनी होगी।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पी एन पुनिया के पूरक प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि गांव में डॉक्टरों को गांवों में भेजने की समस्या का सामना पूर्व के मंत्रियों को भी करना पड़ा। 2009-10 में सरकार ने नियम में परिवर्तन किया और कहा कि तीन साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने वाले डॉक्टरों को एमडी डिप्लोमा में 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जायेगा।
आज़ाद ने कहा कि इसके साथ ही नये एमबीबीएस डॉक्टरों के ग्रामीण क्षेत्र में एक वर्ष सेवा देने पर एमडी में 10 प्रतिशत अंक, दो वर्ष सेवा देने पर 20 प्रतिशत अंक और तीन वर्ष सेवा देने पर 30 प्रतिशत अंक जोड़ने की व्यवस्था की गई। उन्होंने कहा कि लेकिन अफसोस है कि डॉक्टरों ने गांव नहीं जाने की ठान ली है। डाक्टर इसके लिए आगे नहीं आ रहे हैं। मंत्री ने कहा कि अब हम ऐसी नीति ला रहे हैं जिससे एमबीबीएस करने के बाद डॉक्टरों को एक वर्ष गांव में सेवा देना अनिवार्य होगा।
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