बसपा मंत्री ने की रोग लाने की पैरवी
म्ंाुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही जंग को सरकार में शामिल बसपा कोटे से मंत्री सुरेंद्र राकेश पलीता लगाने पर आमदा है। सुरेंद्र राकेश ने इसकी शुरूआत की परिवहन विभाग में सबसे भ्रष्ट अधिकारी सुधांशु गर्ग को देहरादून का आरटीओ बनाकर। इसके बाद राजभवन में सांकेतिक तौर पर पनिशमेंट काट रहे अपर सचिव सचिव कुर्वे को हरिद्वार का जिलाधिकारी बनवाकर मलाई बांटने का जुगाड़ किया गया। वहीं अब भ्रष्ट अधिकारियों को मलाईदार पदों पर काबिज कराने की हैट्रिक मारने जला रहे हैं सुरेंद्र राकेश इस कड़ी में तीसरा नाम हैं हिमांचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के महाभ्रष्ट अधिकारी टीबी सिंह उर्फ तेजबहादुर सिंह का।
गौरतलब हो कि उत्तराख्ंाड में सरकार बदलने के बाद से नौकरशाही में भी परिवर्तन किया गया है। राज्य के दो सर्वोच्च पद मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक पद से भाजपा सरकार के काल के विवादित अधिकारियों की विदाई के साथ ही स्वास्थ्य व ऊर्जा विभाग के दो भ्रष्टतम अधिकारियों को जहंा कांग्रेस सरकार ने हटाने का काम किया वहीं दूसरी तरफ नौकरशाहों और राजनेताओं का एक गुट विवादित व भ्रष्ट अधिकारियों की मलाईदार पदों में तैनाती के अभियान में लगा हुआ है। इसी कड़ी में हिमांचल प्रदूषण बोर्ड के एक विवादित कार्मिक को उत्तराखंड में तैनात करने की कवायद तेज हो गई है। भाजपा शासन में प्रतिनियुक्ति पर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सीईओ के पद पर तैनात रहे टीबी सिंह को विभागीय जांच में 13 आरोप सिद्व होने के बाद उनकी सेवायें समाप्त की गई थी।
अब एक बार फिर से सरकार को समर्थन दे रही बसपा कोटे के कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र राकेश से सिफारिशी पत्र मुख्यमंत्री को लिखवाया गया जिसमें बढ-़चढ़कर इस विवादित अधिकारी का गुणगान किया गया है। गुणों का वर्णन अगर आप भी समझना चाहें तो सिफारिशी पत्र में टीबी सिंह को केंद्र व राज्य सरकारों में वरिष्ठ पदों में कार्य करने का 25 सालों का अनुभव का जिक्र किया गया है और उत्तराखंड के भीतर चार हजार उद्योगों को तीन साल के भीतर एनओसी जारी करने का भी तमगा देते हुए उत्तराखंउ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सदस्य सचिव अथवा मुख्य पर्यावरण अधिकारी के पद पर तैनात करने की सीधे सीधे स्वीकृति मांगी गई। भ्रष्टाचार, कदाचार के आरोपों में उत्तराखंड से हटाए गए टीबी सिंह पर 13 आरोप जांच के दौरान सिद्व पाये गये थे लेकिन शासन के भीतर उनकी धमक तरो देखिये मंत्री सुरेंद्र राकेश से 27 अप्रैल को सिफारिश का पत्र लिखवाया गया जिसे मुख्यमंत्री को दिया मंत्री ने। मुख्यमंत्री ने सुरेंद्र राकेश के पत्र को मुख्यसचिव को भिजवाया। तीन मई को मुख्य सचिव ने एफआरडीसी को आवश्यक कार्रवाई के लिये निर्देशित किया। 24 घंटे के भीतर एफआरडीसी विनिता कुमार ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को तुरंत आख्या प्रस्तुत करने का लिखित निर्देश जारी कर दिया। लेकिन सवाल यह है कि ये आख्या क्या होगी। अगर टीबी सिंह के पिछले इतिहास के अनुसार आख्या गई तो आख्या में बोर्ड व शासन की पत्रावलियों के अनुसार टीबी सिंह पर लिखित तौर पर उच्च स्तर से दिये गए अनुमोदन के विरूद्व कार्य करने, तथ्यों से विपरीत टिप्पणी करने, उच्च अधिकारियों को गुमराह करने की आख्या जाएगी।
यही नहीं ंसाल 2007 में एक मई को टीबी सिंह को अनियमितता व अनुशासनहीनता करने पर जो प्रतिकूल प्रविष्ठी दी गई थी वह भी आख्या की शोभा बढ़ाएगी। भाजपा शासन के चार पूर्व कैबिनेट मंत्री जिनमें दिवाकर भट्ट, मातबर सिंह कंडारी, त्रिवेंद्र सिंह रावत व मदन कौशिक ने टीबी सिंह के खिलाफ स्वयं लिखित शिकायत की थी यह भी इस आख्या में चार चांद लगाएंगे। इसके सयाथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी व नित्यानंद स्वामी सहित तात्कालीन विधायक ओम गोपाल रावत, विजय सिंह पंवार व गोपाल रावत समेत दर्जनों जन प्रतिनिधियों ने इस महा विवादित अधिकारी की कीर्तियों की जांच कर उसे हटाने की मांग शासन से की थी। साल 2007-08 में तत्कालीन प्रमुख सचिव एन रविशंकर, तत्कालीन एफआरडीसी विभापुरी दास, तत्कालीन पर्यावरण मंत्री बंशीधर भगत के द्वारा पत्रावलियों मंे टीबी सिंह की सेवायें तत्काल प्रभाव से समाप्त करने और सभी मामलों की जांच के लिए जांच अधिकारी नियुक्त करने का निर्णय भी आख्या की शोभा बढ़ाऐगा। साल 2008 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव एस.के. दास ने टीबी सिंह के विरूद्व प्राप्त शिकायतों की जांच सचिव स्तर से कराने और सभी 13 आरांेप सिद्व पाये जाने पर टीबी सिंह को हटाने का लिखित आदेश जारी किया था। यह भी आख्या की शोभा बढ़ाएंगे।
सवाल है कि जिस पूर्व अधिकारी के खिलाफ 13 गंभीर आरोप साबित हुए है, जिस अधिकारी को आरोप सिद्व होने के बाद उत्तराखंड से हटाया गया, उस अधिकारी को खुला छोड़कर दंडित क्यों नहीं किया गया और दंडित करने के बजाय एक बार फिर से उसी अधिकारी के हवाले उत्तराखंड के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को करने की कवायद की जा रही है। जिसके कार्यकाल के दौरान हुए कार्यो के चलते उत्तराखंड को राष्ट्रीय गंगा बेसिन आथॉरिटी की बैठक में उस समय फजीहत झेलनी पड़ी जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार को उसके दायित्व का बोध भी कराया।
अब निगाह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर है कि क्या बहुजन समाज पार्टी के द्वारा हिमांचल के विवादित अधिकारी को उत्तराखंड में लाने के लिए जो अभियान चलाया जा रहा है क्या वो समर्थन की धौंस के आगे झुक कर भ्रष्ट अधिकारियों को अपने गले लगा लेंगे या फिर जो भ्रष्ट अधिकारियों को हटाने का अभियान स्वयं मुख्यमंत्री ने छेड़ा है उसी को आगे बढ़ते हुए जिस टीबी सिंह उर्फ तेजबहादुर सिंह पर जो 13 आरोप सिद्व हो चुके हैं दंडित कर उत्तराखंड का गौरव बढ़ाएंगे।
(राजेन्द्र जोशी)
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