अखिलेश सरकार दलित विरोधी :- मायावती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 19 मई 2012

अखिलेश सरकार दलित विरोधी :- मायावती


बसपा सुप्रीमो एवं यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्ता बदलते ही हालात दयनीय हो गए हैं। कानून व्यवस्था काफी बिगड़ गई। आम आदमी घर से बाहर निकलते समय सौ बार सोचता है कि क्या वह वापस जीवित लौटेगा भी या नहीं। महज दो माह में 800 हत्याएं, 270 रेप, 256 अपहरण की घटनाएं और 756 लूट की वारदात हो चुकी हैं। मायावती आज दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहीं थीं।

मायावती ने सूबे की सपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अखिलेश सरकार प्रदेश में विकास करने की बजाए बदले की भावना से काम कर रही है। बसपा सरकार की पूर्व में लागू 26 योजनाओं को समाप्त कर दिया। ये योजनाएं गरीबों के उत्थान के लिए चलाई जा रही थी। यह सरकार सिर्फ दलित विरोधी अभियान में जुटी है। मायावती ने आरोप लगया कि सपा सरकार के राज में कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। हर रोज हत्याएं हो रही है। बहन-बेटियों की इज्जत लुट रही है। हफ्ता वसूली फिर से शुरू हो गई है।

माया ने कहा कि दलितों को हमारी सरकार के दौरान जो जमीन मुफ्त में दी गई थी उन पर सपा के दबंगों ने कब्जा कर लिया है। जांच के नाम पर अधिकतर दलित कर्मचारियों-अधिकारियों को निशाना बनाया जा रहा है। प्रदेश में शहरों, कस्बों व गांवों में जमीन माफिया का राज हो गया है। गलत काम करने वालों को सपा का समर्थन मिल रहा है। अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित मान रहे हैं। बसपा मुखिया ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए प्रदेश की आर्थिक स्थिति को देखे बिना ही सपा ने चुनाव में बड़े-बड़े वादे कर दिए। अब उसे पूरा करना सपा के लिए भारी पड़ रहा है। वादे पूरे नहीं होने से जनता अब इनके खिलाफ होती जा रही है। सपा विकास के मामले में सिर्फ कागजी बन गई है।

मायावती ने कहा कि चुनाव में बसपा फिर सत्ता पर काबित होती लेकिन भाजपा और कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण हमें बाहर होना पड़ा। यह कहना गलत है कि जनता ने बसपा को नकार दिया है। बसपा को सपा से महज पौने तीन प्रतिशत वोट कम मिले हैं। इस बार हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है। राष्ट्रपति की उम्मीदवारी के सवाल पर मायावती ने कहा कि हम दूसरी पार्टियों पर नजर रखे हुए हैं। अभी इस बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं है। जो भी उम्मीदवार अन्य पार्टियों के जरिए सामने आएंगे, उनमें हम देखेंगे कि वह बसपा के मापदंड पर कितना खरा उतरेगा।जल्दबाजी में इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया जाएगा।

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