पूँछ ही न हिलाते रहें.... - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 28 मई 2012

पूँछ ही न हिलाते रहें....

खुद भी कुछ बनकर दिखाएँ !!!


दुनिया में दो ही वर्ग अब दिखाई देने लगे हैं। एक भीड़ है और दूसरी तरह के लोग वे हैं जो भीड़ जमा करने में माहिर हैं। भीड़ ऐसा एक सहज अभिनय है जो अपने आप जुट जाता है और सब कुछ अपने आप होने लगता है। भीड़ कहीं तो अपने आप जुट जाती है और कहीं जुटाने के लिए जतन करने पड़ते हैं। दुनिया का हर शख्स उन लोगों में शामिल हुआ करता है जो कभी न कभी भीड़ का हिस्सा रहा है। भीड़ के अनुपात में भीड़ जमा करने वालों की भीड़ भी बढ़ती रहती है। आजकल हर कहीं सबसे ज्यादा कुछ देखने में आ रहा है तो वह है भीड़। अब दो ही रास्ते बचे हैं या तो भीड़ में शामिल होकर रहो या भीड़ पैदा करने का माद्दा पैदा करो।

हम अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में देखते हैं कि भीड़ का कोई चरित्र नहीं होता, वो हर जगह जमा हो ही जाती है। इसी प्रकार भीड़ का नेतृत्व करते-करते उन लोगों का भी कोई चरित्र नहीं होता जो भीड़ जमा करने में सिद्ध हो गए हैं। लेकिन इतना जरूर है कि भीड़ और भीड़ जमा करने वाले लोगों के बीच परस्पर जीवन संबंध है। दोनों ऐसे हैं कि एक-दूसरे के बगैर नहीं रह सकते। इस भीड़ में शामिल होने वाले लोगों में बहुत बड़ी संख्या तो ऐसे लोगों की होती है जिन्हें पता ही नहीं चलता कि कहाँ जा रहे हैं और क्यों जा रहे हैं। भेड़ों की रेवड़ की तरह हर किसी जगह जमा हो जाने की आदत हमारी परम्परा में सदियों से रही है। हममें से हर कोई तमाशबीन के रूप में मजे लूटने का अभ्यस्त होता है। फर्क सिर्फ इतना भर है कि कोई छोटा है कोई बड़ा, कोई सरेआम देखता है तो कोई छिपकर।

इस भीड़ में खूब सारे चेहरे ऐसे भी होते हैं जिन्हें सिर्फ कहने भर को आदमी कहा जाता है। इनमें आपको सभी प्रकार के लोग मिल जाएंगे। ज्यादातर संख्या में ऐसे लोग मिल ही जाते हैं जिनके लिए भीड़ का हिस्सा होना पेट के सवाल से जु़ड़ा होता है। फिर जिन लोगों में खाने-कमाने और जीवन निर्वाह का कोई जरिया ही न हो, न हुनर हो न कोई इन्हें पसंद करे। ऐसे में इनके पास सिवाय भीड़ का हिस्सा होने के और कोई चारा ही नहीं बचा रहता। नाकारा लोग इसी प्रकार भीड़ का हिस्सा बनने लगते हैं। यह भीड़ ही है जो उन्हें चारा देती है और उनकी जेबें भरने का जतन करती है। भीड़ की इस अजीब किस्म में एक प्रजाति ऐसी होती है जिनका न कोई स्वाभिमान होता है, न संस्कार और न निज वंश का गौरव।  ऐसे संस्कारहीन लोगों का जमावड़ा हर भीड़ में नज़र आने लगा है।

फिर भीड़ में रहते-रहते ये पूँछ हिलाने में इतने आदतन हो जाते हैं कि पूरी जिन्दगी दुम ही हिलाते रहते हैं। इनकी दुमों की हवाओं से ही भीड़ जमा करने वालों को ठण्ढक मिलती है। अनुचरों या कि अंधानुचरों की संख्या जितनी ज्यादा, उतना ही इन लोगों का मिलता है सुकून। कई बड़े-बड़े लोग हैं जो कहने को बड़े हैं मगर अपना सारा स्वाभिमान भुलाकर पूँछ हिलाते रहते हैं। अपने आस-पास भी ऐसे पूँछ हिलाने वाले लोगों की खूब भरमार है जो थोड़ी सी ब्रेड़, रोटी या हड्डी का टुकड़ा मिल जाते ही इतनी मस्ती से दुम हिलाते हैं जैसे कोई दुम न होकर चाभी का छल्ला हो। पूँछ हिलाने वालों की माया ऐसी कि पूँछ के बूते ही सब कुछ कर गुजरते हैं। कभी ये पूँछ हवा का झोंका देकर थपकी देती लगती है, कभी कोड़े की तरह मार करती है।

मजे की बात तो यह है कि कई लोग अपने स्वार्थों को पूरा करने और पराये माल पर हाथ साफ करने का शौक पाल लेते हुए खुद कुछ भी न करते हुए औरों के टुकड़ों पर इस कदर पलना शुरू कर देते हैं कि उनके भीतर चले आ रहे नेतृत्व और स्वाभिमान के संस्कार तक स्वाहा हो जाते हैं और फिर इनकी पूरी जिन्दगी पूँछ हिलाने के सिवा दूसरा कोई काम नहीं कर पाती। करे भी तो कैसे, पूँछ हिलाते-हिलाते वे ऐसे-ऐसे काम कर चुके होते हैं कि इनकी बुद्धि और मन दोनों भीड़ जमा करने वालों के यहाँ गिरवी रखा होता है जहाँ से तभी मुक्त हो पाते हैं जब दोनों पक्षों में से एकाध की मुक्ति हो जाए। अपने आस-पास रोजाना घूमते रहने वाले ऐसे पूँछ हिलाने वालों को देखें और विश्लेषण करें तो पाएंगे कि अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए ये लोग इतने नीचे गिर गए हैं कि इनका तनिक भी ऊपर उठना असंभव है। ईश्वर को धन्यवाद दें कि उसने इन्हें धरा पर भेजने के बाद पेट की आग बुझाने का बंदोबस्त करने पूँछ हिलाने की कला से नवाज़ दिया है। भीड़ जमा करने और कराने वालों का वजूद नहीं होता तो ये बेचारे पूँछ हिलाने वाले कैसे गुजारा कर पाते।

आज चारों तरफ पूँछ हिलाने वालों की बहार छायी हुई है। जो पूँछ हिलाने के आदी हैं उन्हें यह सोचना चाहिए कि ईश्वर ने उन्हें मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर भेजा है और इसके बावजूद वे ऐसे काम कर रहे हैं जो पशुओं के लिए निर्धारित हैं, इससे बड़ा उनका दुर्भाग्य क्या होगा। यही करना था तो पूर्वजन्मों की पशु योनियाँ क्या कम थीं। अनुचरों की तरह बर्ताव करने वाले लोगों को चाहिए कि वे एक बार इस बात का चिंतन करें कि जो वे कर रहे हैं वह काम करना उन्हें शोभा भी देता है क्या।  एक बार पूरी शिद्दत से सोचने पर हमे इसका उत्तर जरूर मिल जाएगा। खुद कुछ करने का माद्दा पैदा करें, दूसरों के सहारे परजीवी बने रहना कहाँ तक ठीक है? कुछ नहीं तो अपने पूर्वजों को याद करें, उनकी बातों का स्मरण करें और उनके कामों का अनुकरण करें। यह सोचें कि हमारी पूँछहिलाऊ मनोवृत्ति अपनी परंपरा और वंश गौरव का अपमान नहीं तो और क्या है?


---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077

1 टिप्पणी:

Yogesh Saxena Advocate speaks ने कहा…

The Series of political murder Committed one by one from the murder of San jay Gandhi in plane Crash, where in the Key to operate Swiss Bank Accounts were ultimately gone in the Hand of Indira Gandhi, resulting in her elimination by no other , but Sonia Gandhi by keeping Prime minister Body in the Ambesdor Car having no equipment of Medical Emergency in connivance with close nexus of Mr. R.k.Dhavan have been lying under the dark clouds about the integrity of this lady, planted by the KGB first by Russian Intelligent First and now by the CIA of Americans Intelligence, ith whon our Intelligent service namely the RAW has been Merged Completely. The Murder of Rajiv Gandhi By Lite Prabhakaran , In whose Connivance of 34 Antiques were stolen from our Nation by No other , but his Own wife Smt Sonia Gandhi Has well being established by the Close Affinities of Smt Bentica Roborto with the Lady Used for Assissnation of Mr. Rajiv Gandhi. The Political Murder of Rajesh piolet, Madho Raj Sindhiya In suspicious Circumstances has came to the light and the finger of Suspicions point out the Culprit as no other than Smt Sonia Gandhi. the Murder has got the Back ground in case of Madho Rao Sindhiya was illicit relationship of this Lady, which Came to Notice Of Mr. Rajiv Gandhi, when in 1980 at about 1.30 A.M. , Madho Rao Sindhya was Fully intoxicant was colluded inside the Car got the head injury lady associated in sex Namely Sanio Manio of Turin escaped, but the Student of IIT Delhi rescued him and provided the Medical assistance in Deep crisis. this Was the Same Madho Rao sindhiya , The successor of his Ansesters, who are having the blood of Anti Nationalist sPrit and Taking Advantage of their Terrorist activities in denying the hide in Rani Laxmi Bai in Gwalier, Indira Gandhi Got the Entire Jewelery being Stollen under the HIDES of INCOME TAX Department. Enforcement Wing. The list is quit eloberate and YSR Murder is also one emerged inside there. The Principle is that if you are Dishonest person, we can wipe out your Existence For Ever as the Principles of Islam and Christianity applied for their use UPON HINDUS, that once you are inside the inner circle of nexus of BRIBE, DECEIVE, DECEPTIVENESS in their identity for Sake of Money, The Betrayal from the Members of MANIO - STEFENO FAIMLY membership nexus is without default is punishable to death Penality. Why Afzal And Kasab are Safe in India? the Reason Behind this May be that The Parliamentarian Attacks and Attacks In Mumbai might have been planted By thois Faimly. Why the relatives of Roberts Vadehra Family were Eliminated one After Another, the reason is pure and simple that they refused to commit murder, robery and having deception with the Well Being Of this Nation. I Have the evidences that who as the Lady actually Planted the Murder of General Vaidhya?. The Creation of Bhiderwala and elimination of Sikhs Community was the Planning by No Other but this Lady ? DO YOU KNOW THAT THIS LADY IS SUFFERING FROM AIDS?. Who Will Be target Next? General Sri V.k.Singh Or Baba Ram Dev, It may Be Subramanian Swami, Yogesh Saxena General Secretary , Sandhya Jain, Ashok Himani Savarkar or it May Be Acharya Aaya Naresh of Udbheet Sthali at Raj Garh Near Simla
Why The People Out Side INDIA IN EUROPE abd in America, China Australia and even in UK Call US HOOKOO MONKEY And the WHY Diplomat Of Singapore Called Us that INDIANS? INDIANS ARE IDIOTS, HALF HIDDEN AND HALF PROJECTED. We and SOMALIA, TANZANIA, NIGERIA, PERU, BRAZIL are Having the similar Genetic Background of Our Ancesters and THUS INDIANS ARE NO OTHER BUT PURCHASABLE COMMUNITY.