भारतीय युवा लेखक राहुल भट्टाचार्य ने मंगलवार को प्रतिष्ठित रॉयल सोसाइटी ऑफ लिटरेचर ओंडात्जे पुरस्कार 2012 जीता। उनकी पुस्तक 'द स्लाइ कम्पनी ऑफ पीपुल हू केयर' को पुस्कार के लिए चुना गया। विजेता की घोषणा करते हुए निर्णायक निक लेयर्ड ने कहा, "तकरीबन प्रत्येक पृष्ठ में छोटा-मोटा शैलीगत घुमाव या आनंददायक क्षण का वर्णन है जो मुझे उनकी प्रशंसा करने से नहीं रोक पाता।" ओंडात्जे पुरस्कार एक वार्षिक सम्मान है जो कथा लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति को दिया जाता है। यह पुस्कार ब्रिटेन की सोसाइटी ऑफ लिटरेचर की ओर से दिया जाता है।
भट्टाचार्य की पहली कथाकृति को पिछले वर्ष हिंदू लिटरेचर प्राइज दिया गया था। उनकी इस कृति का चयन मैन एशियन लिटरेचर प्राइज-2011 के लिए तथा राष्ट्रमंडल पुस्तक पुस्कार-2012 के लिए भी किया गया था। ओंडात्जे पुरस्कार की दौड़ में अन्य कृतियां थीं जूलिया ब्लैकबर्न्स की 'थिन पाथ्स', तेजू कोले की 'ओपन सिटी', पॉल फारले और माइकेल सीमोंस रॉबर्ट्स की 'एजलैंड्स', ओलिविया लेंग्स की 'टू द रिवर' तथा टिम रॉबिन्सन की 'कोनेमारा'। निर्णायक मंडल में निक लेयर्ड, माइकेल रॉबर्ट्स और कामिला शैम्सी शामिल थे।
भट्टाचार्य की पुस्तक प्रवासियों के जीवन पर आधारित एक उपन्यास है जिसमें एक युवा भारतीय पत्रकार के उन दिनों की कहानी है जब उसने गुयाना में एक साल बिताने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी। भट्टाचार्य का जन्म 1979 में मुम्बई में हुआ था। इस समय वह दिल्ली में रहते हैं। वह विसडेन और क्रिसिन्फो जैसे प्रकाशनों में क्रिकेट पर लिखते हैं।
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