सीबीआई को उत्तर प्रदेश एनआरएचएम घोटाले में आरोपी अधिकारियों तथा नेताओं द्वारा अवैध रिश्वतखोरी के रास्तों को ढकने के लिए परत दर परत वित्तीय लेन-देन करने का पता चला है और एजेंसी ने पड़ताल के लिए आयकर विभाग तथा वित्तीय खुफिया इकाई से मदद मांगी है।
सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि लाभार्थी कंपनियों द्वारा पूरे राज्य के लिए एनआरएचएम के तहत केंद्रीय ठेकों के लिए कथित तौर पर बड़ी मात्रा में अवैध धन प्रदेश के तत्कालीन परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, सचिव प्रदीप शुक्ला, विधायक राम प्रसाद जायसवाल और अन्य आरोपियों को दिया गया। सूत्रों ने आरोपियों का नाम लिए बिना कहा कि एनआरएचएम मामले में कुछ लोगों ने कथित तौर पर काले धन को सफेद में बदलने के लिए अपने चार्टर्ड एकांउटेंटों के माध्यम से दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश में कंपनियों को पैसा दिया। उन्होंने कहा कि कथित रिश्वत की राशि आरोपियों और उनके रिश्तेदारों द्वारा कई रास्तों से परत दर परत तरीके से कंपनियों तथा ट्रस्टों के खातों में लाई गई। सूत्रों ने कहा कि इन कंपनियों और ट्रस्टों को प्राप्त हुए धन का रियल इस्टेट तथा आरोपियों द्वारा खरीदी गई अन्य अचल संपत्तियों में निवेश किया गया।
सूत्रों के अनुसार पेशेवर विशेषज्ञता के साथ कथित तौर पर काले धन को सफेद में बदला गया। एजेंसी
एनआरएचएम घोटाले में कथित धन शोधन को समझने के लिए एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी के साथ पहले ही काम कर रही है और उसने देश की वित्तीय खुफिया इकाई की मदद मांगी है। वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) ने देशभर में बैंकों में हुए संदेहास्पद लेन-देन के बारे में पता लगाया है और काले धन को वैध में तब्दील किए जाने के बारे में पता लगा सकती है। सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ने एफआईयू को आरोपियों की सूची दी है ताकि उनकी ओर से देशभर में हुए नकदी के लेन-देन के बारे में पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि एजेंसी चार्टर्ड एकाउंटेंटों की भी मदद ले रही है।
उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत 2005-11 के दौरान 9000 करोड़ रुपये का केंद्रीय धन मिला था। सूत्रों के अनुसार एजेंसी ने घोटाले के तहत अनेक मामलों में करीब 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। उसने आरोपियों के ठिकानों से 9.5 करोड़ रुपये नकद, 5.4 किलोग्राम सोना, 37 करोड़ रुपये की संपत्तियां तथा विदेशी मुद्रा जब्त की।
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