उच्चतम न्यायालय ने आज तय किया कि राजीव गांधी के हत्यारों की मृत्युदंड के खिलाफ याचिकाओं पर वह खुद फैसला सुनाएगा। मृत्युदंड की सजा पाये लोगों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास 11 साल से लंबित है इसलिए शीर्ष अदालत ने यह फैसला किया है।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि मृत्युदंड की सजा पाये लोगों की म्रदास उच्च न्यायालय में लंबित याचिकाएं उच्चतम न्यायालय के पास भेजी जाएं। अदालत ने मामले पर सुनवाई की तारीख 10 जुलाई तय की है।
न्यायालय ने यह आदेश एल के वेंकट की याचिका पर दिया जिसमें मामलों की सुनवाई तमिलनाडु से बाहर करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में आशंका जताई गई है कि मृत्युदंड की सजा पाये लोगों के पक्ष में माहौल के चलते राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं होगी।
तमिलनाडु सरकार ने दस अक्तूबर 2011 को मामला म्रदास उच्च न्यायालय से स्थानांतरित करने की अर्जी का विरोध किया था । सरकार ने इन आरोपों से इंकार किया कि राज्य में माहौल इतना गर्म है कि मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती है।
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