पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के समक्ष पांचवीं बार क्षमादान याचिका दायर की है। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, 49 वर्षीय सरबजीत की नई याचिका के साथ एक लाख भारतीयों के हस्ताक्षर भी हैं।
जरदारी से पाकिस्तानी वैज्ञानिक खलील चिश्ती को हाल ही में भारत द्वारा रिहा किए जाने के जवाब में उसकी रिहाई का आदेश देने की अपील की गई है। अजमेर में 1992 में एक व्यक्ति की हत्या के दोषी ठहराए गए चिश्ती को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मानवीय आधार पर जमानत और पाकिस्तान जाकर परिवार से मिलने की इजाजत दी है।
सरबजीत की क्षमादान याचिका के साथ दिल्ली की जामा मसजिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी और सैयद मुहम्मद यामीन हाश्मी द्वारा लिखे गए दो पत्रों को नत्थी किया गया है। हाश्मी सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के संरक्षक हैं।
जरदारी को लिखे पत्र में बुखारी ने कहा है कि सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने उनसे मुलाकात की है और ऐसे सुबूत मुहैया कराए हैं जो यह साबित करते हैं कि सरबजीत निर्दोष है। उसे मानवीय आधार पर रिहा किया जाना चाहिए। इससे दोनों देशों के बीच सद्भावना को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी साथ ही भारत में सिखों, हिंदुओं और मुसलिमों के बीच सांप्रदायिक समरसता भी बढ़ेगी।
सरबजीत के वकील ओवैस शेख ने बताया कि याचिका और पत्र को राष्ट्रपति जरदारी को भेज दिए गए हैं। 1990 में लाहौर और मुल्तान शहरों में हुए बम विस्फोट के मामलों में सरबजीत को मौत की सजा सुनाई गई है। उसे वर्ष 2008 में ही फांसी दी जानी थी, लेकिन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के हस्तक्षेप के बाद उसकी सजा पर अमल को अनिश्चितकाल के स्थगित कर दिया गया।
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