समाज कल्याण विभाग लाखों रूपये खर्च कर सरकार अनुसूचित जाति के मेधावी छात्रों को सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराता है। हाल के वर्षों में सरकार ने इस पर लाखों रुपये तो खर्च कर दिए, लेकिन एक भी छात्र का चयन सिविल सर्विसेज में नहीं हो पाया। विभाग अफसर नहीं बना पाया तो बाबू बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और कोचिंग योजना से समूह ग की तैयारी कराई गई। शैक्षिक सत्र 2009-10 में समाज कल्याण विभाग ने सिविल सर्विसेज की प्री परीक्षा की तैयारी कराने के लिए अल्मोड़ा, नैनीताल और देहरादून की आधा दर्जन नामी कोचिंग संस्थाओं का चयन किया। तब तय हुआ था कि प्री परीक्षा पास होने वाले छात्रों को मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए अलग से धनराशि दी जाएगी। मगर एक भी छात्र प्री परीक्षा पास नहीं कर पाया।
इस सत्र 70 छात्रों को शामिल किया गया था। चार माह की कोचिंग के लिए प्रति छात्र 15 हजार रुपये की दर से कोचिंग संस्थानों को 10.50 लाख रुपये का भुगतान किया गया। इसमें अल्मोड़ा की संस्था संबर्धन, नैनीताल जिले में दिशा एकेडमी और जीत एकेडमी तथा देहरादून में ब्रिलिएंट, प्रयास और एकलव्य नामक शामिल थीं। इसके पश्चात विभाग ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी कराने की योजना से हाथ खींच लिया और शैक्षिक सत्र 2010-11 में 40 छात्रों को मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी कराई। इसके लिए अल्मोड़ा की संस्था संबर्द्धन और पिथौरागढ़ की कोचिंग संस्था प्रभाकर स्मृति संस्थान का चयन किया गया, लेकिन हश्र वही रहा। इससे विभाग की योजना, छात्रों और कोचिंग संस्थानों के चयन पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। फिलहाल समाज कल्याण विभाग ने समूह ग परीक्षाओं के लिए कोचिंग दिलाना शुरू कर दिया है। इसमें 2011-12 में 297 छात्रों पर 23.19 लाख रुपये खर्च किए गए। इस वर्ष की परीक्षाओं के अभी परिणाम घोषित नहीं हो पाएं हैं।
(राजेन्द्र जोशी)
1 टिप्पणी:
आपकी पोस्ट 24/5/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा - 889:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
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