कांग्रेस की भाजपा को एक और पटखनी
उत्तराखण्ड की राजनीति में जिसकी सम्भावना लगाई जा रही थी वैसा अब पूरा होते दिख रहा है कांग्रेस भी भाजपा की राह पर चलते हुए पिर एक बार इतिहास दोहराने के लिए खड़ी है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का सिंतारगंज सीट से चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। बस अब इसकी औपचारिक घोषणा बाकी हैं सितांरगंज विधायक किरन मंडल उनके लिए सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं सीट छोड़ने के लिए उनके द्वारा अपने क्षेत्र की कुछ समस्याओं के समाधान की जो शर्त रखी गयी हैं उस पर सरकार अब गंभीरता से काम कर रही हैं। वहीं कांग्रेस के इस दावं से भाजपा सकते में आ गई है और वह स्थिति से निपटने की तैयारी में जुट गयी हैं। भाजपा का इस मामले में कहना है कि कांग्रेस प्रलोभन देकर लोकतंत्र की हत्या करने का जो प्रयास कर रही है, वह उत्तराखण्ड के लिए शुभ संकेत नहीं।
विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण के बाद से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि पक्ष के पास 32 और विपक्ष के पास 31 सीट होने से उस 1 के अन्तर को किस तरह मिटाया जाए सत्तारूढ़ कांग्रेस उपचुनाव के जारिए अपनी सीटों में एक और अंक का इजाफा करने की जुगत में जुटी थी वहीं विपक्ष भाजपा उपचुनाव में मुख्यमंत्री को पटकनी देने की रणनीति और अंकों की बराबरी करने की कवायद में जुटी थी। कांग्रेस के किसी विधायक द्वारा यदि मुख्यमंत्री के लिए सीट खाली की जाती तो इससे सरकार और कांग्रेस को ज्यादा जोखिम हो सकता था, यहीं कारण है कि सत्ता पर विराजमान होने से ही कांग्रेस का पूरा ध्यान इस बात में लगा था कि किस तरह से भाजपा विधायक को अपने पाले में खींचा जायें। भाजपा ने अपने विधायकों एक जुट रखने के लिए हर संभव प्रयास किये उन्हें दूसरे राज्यों में यात्रा पर भेजना, अनुशासन का पाठ पढ़ाने तक सभी प्रयास किये गये। लेकिन कांग्रेस आखिरकार अब तक अपने मकसद में सफल रही है। किरन मंडल भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जायेंगे यह तय हो चुका है महज इसकी अब औपचरिकताएं पूरी करना बाकी हैं। भाजपा विधायकों को अब यह मानना ही होगा कि कांग्रेस की सरकार प्रदेश में पूरे पांच साल तक सत्ता पर काबिज रहेंगी और जहां तक बात कांग्रेस की सीट घटने या बढ़ने की बात हैं वह तो चुनाव परिणामों के बाद ही पता चल सकेगा लेकिन फिलहाल कांग्रेस ने अपने लिए एक रास्ता जरूर तैयार कर लिया हैं।
(राजेन्द्र जोशी)
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