मरुथल में सौर ऊर्जा का चमत्कार !!! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 15 मई 2012

मरुथल में सौर ऊर्जा का चमत्कार !!!

जनजीवन से लेकर परिवेश तक में पसरने लगी है सूरज की चमक


दुनिया में खत्म होते जा रहे ऊर्जा के भण्डारों के दौर में आज भी राजस्थान प्रदेश ऊर्जा के नैसर्गिक भण्डारों का अक्षय स्रोत है जहाँ सौर और पवन ऊर्जा के रूप में प्रकृति ने ऐसा अनुपम उपहार लुटाया है जो कभी खत्म होने वाला नहीं है। प्रदेश में अब इन प्राकृतिक ऊर्जा भण्डारों के दोहन की दिशा में जिस तेजी के साथ काम हो रहा है, उससे उम्मीद की जा सकती है कि राजस्थान आने वाले समय में देश भर में ऊर्जा का बहुत बड़ा अक्षय भण्डार होगा। इसकी बदौलत राजस्थान का भविष्य सुनहरा और अतुलनीय समृद्धि से परिपूर्ण कहा जा सकता है।

ऊर्जा है जीवनाधार
   
ऊर्जा विकास का मुख्य आधार है। पर्याप्त ऊर्जा के बिना किसी भी राज्य अथवा देश का चहुंमुखी विकास संभव नहीं है। औद्योगिक विकास, कृषि, सिंचाई, यातायात, संचार ही नहीं बल्कि हमारी आधुनिक जीवन पद्धति ऊर्जा पर निर्भर होती जा रही है। राजस्थान के विशाल मरुक्षेत्र में भूजल, फव्वारा और लिफ्ट इरिगेशन आधारित कृषि विकास में ऊर्जा का विशेष योगदान है। सरकार ऊर्जा उत्पादन में बढ़ोतरी के लिये पारम्परिक ताप और लिग्नाईट आधारित बिजली परियोजनाओं के जरिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। साथ ही सौर एवं पवन ऊर्जा क्षेत्र में भी बिजली उत्पादन के वृहद् कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।

राजस्थान सौर ऊर्जा का विशाल हब बनेगा

राजस्थान को वर्ष 2013 तक ‘‘पॉवर सरप्लस’’ राज्य बनाने के लिए सरकार कटिबद्ध है। राज्य में गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों पवन और बायोमास से कुल बिजली उत्पादन क्षमता 1912 मेगावाट पहुंच चुकी है। राज्य में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाओं को देखते हुए प्रदेश को सौर ऊर्जा के एक विशाल हब के रूप में विकसित करने के लिए सरकार कृत संकल्प है।

सूरज की अपार कृपा

राजस्थान का विशाल रेगिस्तान सूरज की प्रखर किरणों के कारण सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये बहुत उपयुक्त है। राजस्थान में करीब 2,08,110 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रेगिस्तानी भूमि है। यह प्रदेश के क्षेत्रफल का 60 प्रतिशत है। राजस्थान में 6.0-7.0 किलो वाट घण्टा प्रति वर्गमीटर की दर से सौर विकिरणों की उपलब्धता रहती है। अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि राजस्थान के सौर रेडियेशन की तुलना केलिफोर्निया, नेवादा, कोलोराडो तथा ऐरीजोना के मरूस्थलों से की जा सकती है। देश का 99 प्रतिशत जिंक उत्पादन राजस्थान में होता है। इसका प्रयोग सोलर पीवी तथा सीएसपी तकनीक में गेल्वेनाईजेशन के लिये किया जाता है।  राज्य देश का तीसरा सबसे बड़ा नमक उत्पादक प्रदेश है। सीएसपी तकनीक में पिघले हुए नमक का प्रयोग होता है।

सौर ऊर्जा नीति का बेहतर प्रभाव

वर्तमान में राज्य में 500 सिरेमिक इकाइयां, कवरिंग ग्लास एवं खनिज एवं ग्राइडिंग इकाइयां काम कर रही हैं जो राज्य को एक सोलर ग्लास मैन्युफेक्चरिंग हब बनाती हैं। इन सब विशेषताओं एवं संभावनाओं को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सौर ऊर्जा नीति-2011 लागू की है जिसका बेहतर प्रभाव सामने आ रहा है। राजस्थान में निजी क्षेत्र की सौर ऊर्जा परियोजनाओं को प्रोत्साहित एवं स्थापित करना तथा जवाहरलाल नेहरू सोलर मिशन के तहत सौर ऊर्जा से अधिकाधिक उत्पादन करना इस नीति का प्रमुख उद्देश्य है।

निवेशकों को भरपूर प्रोत्साहन

राजस्थान में सौर ऊर्जा नीति के तहत सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने वाले निवेशकों को सरकारी दरों की 10 प्रतिशत रियायती दर पर सरकारी भूमि का आवंटन करने के प्रावधान के साथ ही कैप्टिव यूज करने पर बिजली प्रभार में राहत और निजी भूमि का रूपांतरण 10 प्रतिशत की दर से करने की व्यवस्था, सौर ऊर्जा परियोजनाओं को उद्योगों को दर्जा देते हुए इस क्षेत्र में अन्य उद्योगों के समान छूट एवं अनुदान, सौर उपकरणों एवं मशीनरी पर प्रवेश कर में छूट आदि सौर नीति की मुख्य विशेषताएं हैं। सरकार द्वारा जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर एवं बाड़मेर में 1000 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क स्थापित किये जायेंगे। राज्य सरकार ग्लोबल निवेश को आकर्षित करने के लिये आवश्यक आधारभूत सुविधाएं, नियामक सहयोग तथा अन्य सरकारी सहायता प्रदान करेगी। सोलर पार्क में विभिन्न गतिविधियों के लिए अलग-अलग क्षेत्र चिह्नित होंगे। इनमें विनिर्माण, अनुसंधान एवं विकास, प्रशिक्षण केन्द्र एवं अन्य सुविधाएं शामिल हैं।

व्यापक योजनाएं ले रही आकार

ऊर्जा विभाग द्वारा जोधपुर के भड़ला क्षेत्र में सोलर पार्क की स्थापना के लिये 10 हजार हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है। इस वर्ष जोधपुर सोलर पार्क चालू किया जायेगा। राज्य सरकार द्वारा सोलर पार्क की स्थापना के लिये क्लिन्टन फाउन्डेशन के साथ एमओयू हस्ताक्षर किया गया है। क्लिन्टन फाउन्डेशन सोलर पार्क्स स्थापित करने के लिए तकनीकी एवं अन्य आवश्यक सहायता मुहैया कराएगा। जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सोलर मिशन की घोषणा 19 नवम्बर, 2009 को की गई थी। वर्ष 2022 तक भारत में 20000 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने का इसका लक्ष्य है। योजना के प्रथम चरण में वर्ष 2013 तक 1000 मेगावाट की परियोजनाएं स्थापित होंगी। प्रदेश में सौर ऊर्जा आधारित बिजली परियोजनाएं स्थापित करने के लिए 757 प्रतिष्ठित कंपनियाँ 18626 मेगावाट क्षमता में प्रोजेक्ट के लिये अपना पंजीकरण करवा चुकी हैं।

राजस्थान में अब तक 978 मेगावाट की 82 सौर परियोजनाएं स्वीकृत हैं। इनमें से 158 मेगावाट क्षमता की 40 सौर परियोजनाओं में उत्पादन भी शुरू हो चुका है। राज्य सरकार द्वारा स्थापित 1 मेगावॉट सौर परियोजना से भी उत्पादन शुरू हो गया है और अन्य 3 मेगावॉट की परियोजनाएं बाप (फलौदी) में एवं घूड़सर में यह 40 मेगावॉट की परियोजना चालू हो जाने से राज्य में अब तक 198 मेगावॉट की परियोजनाऐं स्थापित हो गई हैं। जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और नागौर जिलों में स्थापित परियोजनाओं में सौर विद्युत का सफलतापूर्वक उत्पादन जारी है जबकि शेष परियोजनाओं पर काम प्रगति पर है। इन सभी परियोजनाओं में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का निजी निवेश होगा। राजस्थान की नई सौर ऊर्जा नीति के तहत वर्ष 2013-14 तक राज्य में 600 मेगावाट क्षमता की अतिरिक्त सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगाना प्रस्तावित है। इन पर करीब 6000 करोड़ रुपए का निवेश होगा। वर्ष 2013-14 तक प्रदेश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कुल 16 हजार करोड़ रुपए का पूंजी निवेश होने की आशा है।

विकास की अपार संभावनाओं को मिला आकार

सौर ऊर्जा की प्रचुरता के कारण राजस्थान अब औद्योगिक विकास और निवेश की दृष्टि से अपार संभावना वाला राज्य बन चुका है। विश्व के सौर ऊर्जा मानचित्र पर राजस्थान तेज गति के साथ उभर रहा है। आधे विश्व के सेालर इनर्जी मार्केट पर जर्मनी का कब्जा है किन्तु वहां भी अब सौर ऊर्जा की सब्सिडी में कटौती हो रही है। इसके विपरीत भारत में सौर ऊर्जा पर भारी अनुदान दिया जा रहा है। इसलिए सौर ऊर्जा का भविष्य हमारा है। विश्व के सौर बाजार में ग्रिड कनेक्टीविटी के  क्षेत्र में हमारी गणना जापान, चीन तथा अमेरिका की श्रेणी में होती है। भारत सरकार भी सौर ऊर्जा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के तहत वर्ष 2020 तक 20 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है। तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव तथा कोयले के घटते प्राकृतिक संसाधनों के कारण सौर ऊर्जा की मांग बढ़ी है। केन्द्र सरकार द्वारा सौर ऊर्जा पर भारी सब्सिडी देने तथा सोलर पेनल की कीमतों में विश्व बाजार में आ रही गिरावट के कारण निजी उद्यमियों द्वारा इस क्षेत्र में रुचि बढ़ी है जो एक सकारात्मक संकेत है।

ग्रीन व क्लीन एनर्जी में राज्य की भूमिका अहम्

आने वाले समय में ग्रीन और क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में राजस्थान की बहुत बड़ी भूमिका होगी क्योंकि हमारे पास सौर ऊर्जा के रूप में एक बहुत बड़ा प्राकृतिक संसाधन है। भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहाँ रिन्यूएबल एनर्जी के लिए अलग से मंत्रालय कार्य कर रहा है। हमारे यहाँ रिन्यूएबल एनर्जी की प्रचुर संभावनाएं हैं। भारत में विश्व के अन्य देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति ग्रीन हाऊस गैसों की उत्सर्जन दर काफी कम हैं।

प्रभावी ढंग से रुकेगा कार्बल उत्सर्जन

ग्रीन हाऊस गैसों का जितना उत्सर्जन अमेरिका में होता है उसका 20वां भाग भारत में होता है। ऊर्जा के प्रभावी उपयोग और वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों के बारे में ठोस राष्ट्रीय कार्य योजना के अनुरूप व्यापक गतिविधियों का संचालन होने की उम्मीद की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की खपत अभी उतनी ज्यादा नहीं है। यदि हम पहले से ही क्लाइमेट फ्रेण्डली नीति बना लेते हैं तो कार्बन उत्सर्जन को प्रभावी तरीके से रोक पायेंगे। हमारे देश में प्रति वर्ष 300 दिनांे तक निर्बाध सूर्य की रोशनी रहती है। राजस्थान तो इस मामले में बहुत ही भाग्यशाली है। इसलिए हमारे यहां सौर ऊर्जा का उत्पादन अत्यन्त ही सुगम है किन्तु सौर ऊर्जा के मामले में हम यूरोपियन देशों से अभी काफी पीछे है।

अकेले जर्मनी में वर्ष 2010 के अन्त तक 17000 मेगावाट सौर ऊर्जा का निर्माण हुआ। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देरी से आने का भी हमें एक लाभ मिला है कि आज सौर पैनल की कीमतों में वैश्विक बाजार में भारी कमी आ रही है। इसलिए सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देशों की तुलना में हम कम लागत पर तथा उनसे ज्यादा तेज गति से सौर ऊर्जा का निर्माण कर सकतेे हैं। इस दृष्टि से भारत सरकार की रूफ टोप सोलर फोटोवोल्टिक सिस्टम योजना सौर ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम सिद्ध होगी।


---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077

3 टिप्‍पणियां:

आकाश सिंह ने कहा…

प्रिय सर जी आपका मुद्दा मुझे बेहद पसंद आया -- मैं पिछले लगभग एक साल से भी मरुस्थल में रह रहा हूँ और खासकर राजस्थान में पानी की किल्लत को मेरे से ज्यादा और कौन समझेगा --- शायद मेरे इसी वजह से भगवान् ने वाटर प्रोजेक्ट में डाल रखा है ........... " बेहद भावपूर्ण रचना है | यहाँ पधारें मेरी नई प्रस्तुति "क्या यही प्यार है ? " आपके इन्तेजार में www.akashsingh307.blogspot.com

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