उत्तराखण्ड में वामपंथ की दावेदारी की हुंकार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 18 मई 2012

उत्तराखण्ड में वामपंथ की दावेदारी की हुंकार

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) उत्तराखण्ड का दो दिवसीय सम्मेलन 13-14 मई को नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर में सम्पन्न हो गया । पार्टी ने अपने प्रथम राज्य सम्मेलन स्थल का नामकरण पार्टी के दिवंगत नेता का0 दीपक बोस के नाम किया था। उत्तराखण्ड में पार्टी की शुरूआती मौजूदगी के बाद का0 दीपक बोस के नेतृत्व में ही पार्टी ने उत्तराखण्ड में अपनी संगठित शुरूआत की थी। सम्मेलन स्थल को मार्क्स-ऐंगेल्स-लेनिन-स्टालिन-माओ-चारू मजूमदार-सुब्रत  दत्त-विनोद मिश्र-नागभूषण पटनायक सहित उत्तराखण्ड में क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट आन्दोलन को नेतृत्व देने वाले का0 चन्द्र सिह गढ़वाली एवं नागेन्द्र सकलानी तथा उत्तराखण्ड में पार्टी के आन्दोलन केा समर्पित दिवंगत का0 दीपक बोस, हयात सिह हजारा, के. आर. कपूर ,गोपाल सिह कार्की, कला भण्डारी, योगेश पाण्डे एवं वसुधा शर्मा के चित्रों एवं पार्टी झण्डों से सजाया गया था।सम्मेलन की शुरूआत पार्टी के झण्डोत्तोलन से हुई। जिसे पार्टी महासचिव सहित सभी अतिथियों, प्रतिनिधियों की उपस्थिति में राज्य में पार्टी की शुरूआत करने वालों में एक वरिष्ठ साथी का. बहादुर सिह जंगी ने की।

सम्मेलन के पहले खुले सत्र में ‘‘भ्रष्टाचारमुक्त-माफियामुक्त एवं खुशहाल उत्तराखण्ड बनाने की चुनौती एवं वामपंथ’’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया था। जिसमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव का0 विजय रावत, उत्तराखण्ड लोकवाहिनी के शमशेर सिह बिष्ट सहित राज्य एवं हल्द्वद्वानी शहर से बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों एवं जनता ने भागीदारी की। खुले सत्र को मुख्य वक्ता के रूप में पार्टी महासचिव का0 दीपंकर भट्टाचार्य ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सहित देश में तीन राज्य बने, आज ये तीनों ही राज्य संसाधनों की लूट और नए राज्य को लेकर बनी जनता की आकांक्षाओं को ध्वस्त करने के लिए चर्चा में हैं। उत्तराखण्ड एवं झारखण्ड में यदि जल-जंगल-जमीन जैसे संसाधनों को बहु-राष्ट्रीय निगमों/कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने की होड़ मची है तो तीसरे राज्य छत्तीसगढ़ में संसाधनों की लूट के साथ ही माओवाद का हौव्वा खड़ा कर गरीब आदिवासियों को जबरन जमीन से उखाड़ उनका कत्लेआम चल रहा है। कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि पूरे देश में विकास के नाम पर चल रही कॉरपोरेट लूट और भ्रष्टाचार के पीछे शासक वर्ग द्वारा अपनायी जा रही बाजारीकरण और नीजिकरण की नीतियां जिम्मेदार हैं। बिना इन नीतियों को पलटे संसाधनों की लूट और भ्रष्टाचार पर रोक नही लगायी जा सकती। भारत के आंतरिक मामलों में अमेरिकी हस्तक्षेप में गम्भीर चिंता व्यक्त करते हुए महासचिव ने कहा कि अमरीकी हस्तक्षेप कांग्रेस एवं मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा की सरपरस्ती में लगातार बढ़ रहा है। हाल में जिस तरह से अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भारत आकर भारत सरकार को ईरान के साथ गैस पाइप लाइन न बनाने, तेल के संदर्भ में अपनी निर्भरता कम करने, अपने बहुराष्ट्रीय निगमों के हित में एफडीआई लागू करने और भारत के खुदरा व्यापार क्षेत्र को खोलने के लिए डिक्टेट किया और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सीधी मुलाकात की वह देश की एकता और सम्प्रभुता पर सीधे तौर पर हमला है।

खुले सत्र को सम्बोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव कॉ0 विजय रावत ने पार्टी को सफल सम्मेलन के लिए शुभकामनांए देते हुए कहा कि राज्य में पिछले 12 वर्षों से संसाधनों की जो लूट चल रही है और विकास के नाम पर तबाही हो रही है, उसके खिलाफ राज्य के भीतर वामपंथी पार्टियां एक साझा संघर्ष संचालित कर सकती हैं। संघर्ष के माध्यम से राज्य में एक मजबूत वाम एकता स्थापित करने की उम्मीद उन्होंने जाहिर की। खुले सत्र में अपनी बात कहते हुए पार्टी राज्य प्रभारी कॉ0 राजा बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में भाकपा(ंमाले) ने ही माफियामुक्त-नशामुक्त उत्तराखण्ड का नारा दिया था। उस दौर में अन्य सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा कहा गया कि अभी सिर्फ राज्य निर्माण के संघर्ष को आगे बढ़ाने का समय है।जिसका परिणाम आज स्पष्ट है कि कांग्रेस-भाजपा के शासनकाल में जिस तरह से जल-जंगल-जमीन की लूट मची है और एक जनपक्षीय राज्य का सपना अभी भी कोसों दूर है। राज्य को संसाधनो की इस लूट से बचाने के लिए जनसंघर्ष ही एकमात्र विकल्प है।

खुले सत्र की अध्यक्षता पार्टी के केन्द्रिय कमेटी सदस्य कॉ0 राजेन्द्र प्रथोली ने की एवं संचालन अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य अध्यक्ष कॉ0पुरूषोत्तम शर्मा ने किया। सांगठनिक सत्र में पार्टी दस्तावेज को पार्टी के उत्तराखण्ड प्रभारी कॉ0राजा बहुगुणा ने पेश किया। प्रथम राज्य सम्मेलन के इस मौके पर पेश दस्तावेज में अर्न्तराष्ट्रीय-राष्ट्रीय राजनैतिक परिस्थिति, उत्तराखण्ड की वर्तमान राजनैतिक परिस्थिति के अतिरिक्त उत्तराखण्ड राज्य के समग्र इतिहास, सामाजिक-आर्थिक ढ़ांचे एवं राज्य में पार्टी की  तीन दशक पुरानी विकास यात्रा-जिसमें पार्टी ने राज्य के भीतर संचालित किये सभी महत्तवपूर्ण आंदोलनों को समाहित किया है। सम्मेलन में प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए का0 दीपंकर भट्टाचार्य ने साथियों को सफल सम्मेलन के लिए बधाई देते हुए उम्मीद व्यक्त की कि सम्मेलन में पारित दस्तावेज उत्तराखण्ड में पार्टी को नए दौर में ले जाने के लिए सफल रहेगा।उन्होंने कहा कि राज्य बनने के बाद अब नए संदर्भों में हमें अपने संघर्षों को आगे बढ़ाना होगा। एक अलग प्रदेश के रूप में अब बड़ी पूंजी और बड़ी योजनाऐं यहां पर आ रही हैं, इनके आने का मतलब ही है-बड़ी लूट। जल-जंगल-जमीन के नाम पर हो रही इस लूट और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रतिरोध का नेतृत्व हमें करना है। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखण्ड के भीतर पार्टी का क्रान्तिकारी आन्दोलनों के कारण जो प्रभाव है, उसे एक मजबूत सांगठनिक शक्ल दिए जाने की जरूरत है। इसके लिए जनता के साथ घनिष्ठ एकरूपता और लगाव, से ही पार्टी को ताकत मिलेगी।

दस्तावेज पर बहस के पश्चात केन्द्रीय कमेटी के सदस्य व केन्द्रीय पर्यवेक्षक कामरेड धीरेन्द्र झा की देखरेख में हुये चुनाव में सर्वसम्मति से 13 सदस्यों की राज्य कमेटी का चुनाव हुआ। सम्मेलन द्वारा चुनी गई राज्य कमेटी ने सर्वसम्मति से केन्द्रीय कमेटी सदस्य कामरेड राजेन्द्र प्रथोली को राज्य सचिव चुना। राज्य कमेटी के चुने हुये अन्य सदस्य- 1.

राजा बहुगुणा 2. पुरुषोत्तम शर्मा 3. बहादुर सिंह जंगी 4. निशान सिंह 5. इन्द्रेश मैखुरी 6. के.के. बोरा 7. कैलाश पाण्डेय 8. जगत मर्तोलिया 9. आनन्द सिंह नेगी 10. मानसिंह पाल 11. मालती हालदार 12. सुरेन्द्र बृजवाल हैं।

चुनाव के पश्चात राज्य सचिव कामरेड राजेन्द्र प्रथोली ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये कहा कि सम्मेलन ने मसौदा रिपोर्ट को पारित कर जो दिशा तय की है, उसे अमली जामा पहनाने के लिये राज्य कमेटी पूरी ताकत से जुटेगी। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश में पार्टी का सामूहिक नेतृत्व विकसित करते हुये मजदूर-किसान आन्दोलन की धारावाहिकता को बनाये रखने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ेंगे इस मौके पर केन्द्रीय पर्यवेक्षक कामरेड धीरेन्द्र झा ने कहा कि उत्तराखण्ड में नेतृत्वकारी कामरेडों की एक मजबूत कतार मौजूद है। जिसके दम पर आने वाले समय में एक बड़ा आन्दोलन खड़ा करने के लिये सबसे पहले पार्टी निर्माण हेतु निरन्तर कठोर व कठिन प्रयास करने होंगे।बिना पार्टी संगठन के बड़े से बड़े जनांन्दोलन भी बाढ़ की तरह बह जाते हैं, पार्टी निर्माण को अभियान कि रूप में नहीं वरन अपने दैनन्दिनी राजनैतिक कामकाज से जोड़कर ही एक मजबूत पार्टी संगठन का निर्माण हम कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि पार्टी का विस्तार व मजबूती मजदूर-किसान आन्दोलन की धारावाहिकता को बनाये रखने की कुंजी है।

अंत में राजनीतिक प्रस्ताव को पास करते हुए सम्मेलन कम्युनिस्ट इंटरनेशनल गान एवं इंकलाबी नारों के साथ सम्पन्न हुआ। सम्मेलन द्वारा पारित मुख्य प्रस्तावः उत्तराखण्ड में पिछले दस वर्षों में कांग्रेस व भाजपा सरकारों द्वारा किये गये 121 घोटालों की सी.बी.आई. जाँच की जाय 2. सम्मेलन प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा एन.सी.टी.सी. व स्पेशन इकॉनोमिक जोन, जनविरोधी जल विद्युत परियोजनाओं को लागू करने की तथा गैंरसैण को स्थायी राजधानी बनाने की घोषणा किये बिना वहाँ दो अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक करने की घोषणा की कड़ी भर्त्सना करता है और मांग करता है कि मुख्यमंत्री अपनी जनविरोधी घोषणाओं को वापस लें और गैरसैंण के नाम पर नौटंकी करना बंद करें। 3. राज्य बनने के बाद जनान्दोलनों के बीच भाकपा (माले) कार्यकर्ताओं व अन्य आन्दोलनकारियों पर लगे सभी झूठे मुकदमे तुरन्त वापस लिये जांय तथा 4. बिहार में अ.भा. किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड राजाराम सिंह की पुलिस द्वारा बर्बर पिटाई व गिरफ्तारी की कड़ी भर्त्सना करते हुये सम्मेलन मांग करता है कि अपने इस कृत्य के लिए बिहार की नीतिश सरकार माफी मांगे और दोषियों को दंडित करे।5.उच्च न्यायालय पटना द्वारा बथानीटोला के अभियुक्तों को बरी किए जाने की निन्दा करते हुए इस मामले में मुखिया ब्रह्मेश्वर सिह सहित सभी अभियुक्तों को कठोर से कठोर सजा दी जाय।




                                                                                                                        (राजेन्द्र जोशी )

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