एक जुलाई 2012 को बिहार राज्य विद्युत बोर्ड का विखंडन हो जाएगा. सरकार की ओर से इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी जाएगी. इसके साथ ही इस दिन से राज्य में विद्युत व्यवस्था को संभालने के लिए गठित पांच नई कंपनियां काम करना शुरू कर देंगी. इस दिशा में ऊर्जा विभाग और विद्युत बोर्ड के उच्च प्रबंधन की ओर से कवायद शुरू कर दी गयी है.
सरकार राज्य में विद्युत व्यवस्था को सुधारने के लिए मार्च महीने में नई कंपनियों के सीमएडी और उनके निदेशक मंडल का गठन कर चुकी है. इसमें बिहार विद्युत बोर्ड के अध्यक्ष पीके राय समेत बोर्ड के सभी सदस्य और राज्य सरकार के कई उच्चधिकारियों को शामिल किया गया है.
नई कंपनियों की पूंजी को लेकर सरकार ने हाल ही में नियंत्रक एवं महालेखाकार को पत्र भेजा था. इस संबंध में सूत्रों ने बताया कि सीएजी (कैग) ने नई कंपनियों की पूंजी को लेकर कई तरह के सवाल खड़े कर आपत्ति जतायी थी. खासकर कंपनियों पर होने वाले ज्यादा खर्च पर सीएजी असहमत दिख रहा था.बावजूद इसके बिहार विद्युत बोर्ड के बंटवारा तय हो गया है.
पिछले वर्ष राज्य मंत्री परिषद ने बिहार विद्युत बोर्ड के विखंडन के साथ-साथ पांच नई कंपनियों के गठन को लेकर अपनी मंजूरी दे दी थी. सूत्रों ने बताया कि सरकार ने बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड, बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड, साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड एवं नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड का गठन किया है. अब इन्हीं कंपनियों से बिहार में बिजली की सेहत को सुधारा जाएगा. हालांकि ट्रांसफर स्कीम को लेकर अब तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इसके बावजूद सूत्रों का कहना है कि बगैर ट्रांसफर स्कीम के विद्युत बोर्ड का बंटवारा एक जुलाई 2012 को कर दिया जाएगा. बाद में होल्डिंग कंपनी के द्वारा ट्रांसफर स्कीम समेत अन्य विवादों का निपटारा होगा.
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