केन्द्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार ओडिशा और छत्तीसगढ में हाल ही में हुए अपहरणों के दौरान सुरक्षाबलों की कार्रवाई बंद रहने का माओवादियों ने फायदा उठाते हुए दोनों ही राज्यों में बारूदी सुरंग का मजबूत जाल बिछा लिया है। साथ ही आधुनिक हथियारों की खरीद और नये कैडरों की भर्ती भी की है।
खुफिया एजेंसियों से जुडे अधिकारी अनुसार बंधक संकट के दौरान राज्य पुलिस और केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों ने नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई स्थगित कर दी थी। इस दौरान नक्सली बारूदी सुरंग का बडा जाल बिछाने में कामयाब हो गये।
नक्सल प्रभावित राज्यों को केन्द्रीय एजेंसियों की ओर से भेजी गयी एक विशेष रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि माओवादियों ने छत्तीसगढ के नारायणपुर, बीजापुर, सरगुजा, बस्तर, दंतेवाडा, कांकेर और राजनंदगांव में अपनी स्थिति मजबूत की है। रिपोर्ट में ओडिशा के बारे में उल्लेख है कि वहां के मल्कानगिरि, संबलपुर, रायगढ, गजपति और देवगढ में नक्सलियों ने बारूदी सुरंगों का जाल बिछाया है। इतालवी पर्यटकों पाओलो बोसुस्को और कादियो कोलंगो, बीजद विधायक झीना हिकाका और सुकमा के कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण से सुरक्षाबलों की नक्सल विरोधी कार्रवाई बाधित हुई। कार्रवाई स्थगित होने की स्थिति में नक्सलियों द्वारा नये कैडरों की भर्ती और बडे पैमाने पर आधुनिक हथियार खरीदने की भी खबरें हैं।
अधिकारीके अनुसार लगभग दो महीने तक नक्सलियों के खिलाफ कोई विशेष कार्रवाई नहीं की जा सकी। इससे अर्धसैनिक बलों को भारी झटका लगा है। परेशानी की बात यह भी है कि खुफिया जानकारी एकत्र करने का स्थानीय तंत्र भी नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रखने में दिक्कत महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि बारूदी सुरंगें सुरक्षाबलों को नक्सलियों का पीछा करने में दिक्कत करेंगी। विशेषकर तब जब नक्सल किसी एक राज्य से दूसरे राज्य में भाग रहे हों और सुरक्षाबल उनका पीछा कर रहे हों। जंगली रास्तों से माओवादी अच्छी तरह वाकिफ हैं और उन्हें मालूम होता है कि बारूदी सुरंग कहां बिछायी गयी है। सुरक्षाबलों के लिए कुछ इलाके एकदम अनजान हैं और यदि वे किसी ऐसे इलाके से गुजरते हैं, जहां बारूदी सुरंग बिछी है तो बडे पैमाने पर जवान हताहत हो सकते हैं।
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