हड़ताली पायलट प्रशिक्षण नहीं पा सकते. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 30 मई 2012

हड़ताली पायलट प्रशिक्षण नहीं पा सकते.


दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि एयर इंडिया के हड़ताली पायलटों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में उपयोग किए जाने वाले अत्याधुनिक बोइंग 777 विमान उड़ाने का प्रशिक्षण प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है।

एकल पीठ के 11 मई के आदेश के खिलाफ दायर एयर इंडिया की अपील पर विचार करने से इन्कार करते हुए मुख्य कार्यवाहक न्यायाधीश ए के सीकरी और न्यायाधीश राजीव सहाय एंडला ने कहा कि पहले उन्हें हडताल खत्म करने दें, तब हम मामले पर विचार करेंगे।

एकल पीठ ने इस मामले में धर्माधिकारी समिति की सिफारिशों के अमल में आने तक और पायलटों के प्रशिक्षण पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने हालांकि एयर इंडिया के पायलटों के लिए चल रहे प्रशिक्षण में किसी तरह का व्यवधान डालने से इन्कार कर दिया।

हड़ताली पायलटों के प्रशिक्षण के लिए हस्तक्षेप के एयर इंडिया के आग्रह पर उसे फटकार लगाते हुए पीठ ने कहा कि जब तक वे हडताल पर हैं, अदालत उनके मामले की सुनवाई की इच्छुक नहीं है। वे हडताल पर रहते हुए प्रशिक्षण नहीं पा सकते।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि जुलाई में तय करते हुए स्पष्ट किया कि अगर पायलट अपनी हडताल वापस ले लेते हैं तो मामले की सुनवाई के लिए आवेदन किया जा सकता है।

अदालत ने यह आदेश एयर इंडिया के वकील ललित भसीन की उस दलील को सुनने के बाद दी कि एकल पीठ का एयर इंडिया के पायलटों को बोइंग 777 के लिए दिया जा रहा प्रशिक्षण रूकवाने का आदेश सही नहीं था। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण रूकने से भारी वित्तीय हानि होगी और अत्याधुनिक विमान खड़े रह जाएंगे।

एयर इंडिया के अनुसार 200 कमांडरों और 200 सह पायलटों को बोइंग 777 का प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत है लेकिन अभी केवल 64 कमांडर और 62 सह पायलट प्रशिक्षण ले रहे हैं। भसीन के वक्तव्य पर अदालत ने जानना चाहा कि क्या एयर इंडिया के पायलट हडताल पर रहने के दौरान ही प्रशिक्षण ले रहे हैं।

अदालत का 11 मई का आदेश इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन [आईसीपीए] पूर्ववर्ती इंडियन एयरलाइंस के पायलटों की अपील पर आया था कि पायलटों को दिया जा रहा प्रशिक्षण रोका जाए और एयर इंडिया को निर्देश दिया जाए कि उन्हें भी बोइंग 777 के कमांडर के लिए एयर इंडिया के उनके समकक्षों की तरह ही प्रशिक्षण दिया जाए।

न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा कि मैं यह स्पष्ट कर रहा हूं कि एयर इंडिया के जो पायलट अत्याधुनिक विमान पर प्रशिक्षण ले रहे हैं, उनके लिए किसी तरह का व्यवधान नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि जो लोग अत्याधुनिक विमान का प्रशिक्षण ले चुके हैं, उनका भविष्य याचिका के परिणाम पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि मेरा यह दृढ़ विचार है कि जब तक न्यायमूर्ति धर्माधिकारी समिति की रिपोर्ट पर अमल नहीं किया जाता, अत्याधुनिक विमान उड़ाने का प्रशिक्षण रोका जाए।

अदालत ने आईसीपीए की उस दलील पर ध्यान दिया जिसमें कहा गया था कि अगर प्रशिक्षण के नए तरीके को अमल में लाया गया तो एयर इंडिया के सह पायलट को सीधे अत्याधुनिक विमान के कमांडर के पद पर पदोन्नति मिल जाएगी और इससे पूर्ववर्ती इंडियन एयरलाइंस के पायलटों के अधिकारों का हनन होगा जो केवल सामान्य विमानों के कमांडर ही रह जाएंगे और इस तरह उनकी वरिष्ठता प्रभावित होगी।

आईसीपीए ने यह कहते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि उसे एयर इंडिया के पायलटों के संगठन इंडियन पायलट्स गिल्ड [आईपीजी] के समकक्ष नहीं रखा जा रहा है।

याचिका पर सुनवाई के दौरान एयर इंडिया के वकील ललित भसीन ने दलील दी कि प्रबंधन ने एयर इंडिया के पायलटों के अनुभव और उनके काम के स्वरूप को देखते हुए केवल उन्हें ही अत्याधुनिक विमान का प्रशिक्षण देने का निर्णय किया है।

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