श्रम संसाधन विभाग बिहार में प्रतिवर्ष एक लाख बेरोजगारों को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार देगा. समुद्र पार नियोजन ब्यूरो के माध्यम से प्रशिक्षित मजदूरों को विदेश भेजा जाएगा. राज्य की हर पंचायत में कौशल विकास केन्द्र की स्थापना होगी. छोटे-बड़े 88 नियोजनों में लगे मजदूरों को लाभ पहुंचाने की योजना पर राज्य सरकार काम कर रही है.
असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत बिहारी प्रवासी मजदूरों की दुर्घटना के फलस्वरूप 180 दिनों के भीतर मृत्यु होने की स्थिति में मृतक के आश्रितों को एक लाख रुपये, पूर्ण स्थाई अपंगता पर 75 हजार रुपये एवं आंशिक अपंगता पर 37 हजार 500 रुपये का भुगतान देय होगा. ये बातें बिहार के श्रम संसाधन मंत्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने शनिवार को पटना में कही. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने हर पंचायत में कौशल विकास केन्द्र खोलने के लिए तत्काल कम से कम 1850 पंचायतों में जगह का चयन कर भेजने की मांग की थी. बिहार सरकार ने कौशल विकास केन्द्र के लिए केन्द्र की मांग से ज्यादा 2245 जगह तय कर केन्द्र को भेजा था, पर केन्द्र ने उसकी स्वीकृति नहीं दी. उन्होंने कहा, रोजगार के लिए विदेश जाने वाले नवयुवकों को बहुत भटकना पड़ता है.
दलालों द्वारा उनका शोषण किया जाता है. पासपोर्ट एवं वीजा से लेकर उन्हें विदेश भेजने के मामले में उन्हें बहुत परेशानी होती है. राज्य सरकार ने मजदूरों को दलालों के चंगुल से बचाने के लिए समुंद्र पार नियोजन ब्यूरो की स्थापना की है. नियोजन ब्यूरो द्वारा मजदूरों का पासपोर्ट एवं वीजा से लेकर विदेश भेजने तक का कार्य किया जाएगा. अब मजदूरों को विदेश जाने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि बिहार में पहले सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या 30 थी जो बढ़कर अब 59 हो गयी है. इसी प्रकार गैर सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या 50 थी जो बढ़कर 455 हो गयी है. अब बिहार में बेरोजगारों के लिए जिला स्तर पर नियोजन एवं प्रशिक्षण मेला लगेगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने विगत 6 वर्षो के दौरान भौतिक एवं संरचनात्मक विकास के साथ श्रमिकों की अधिकारिता के संरक्षण एवं उनकी सामाजिक सुरक्षा तथा युवा बेरोजगारी उन्मूलन की दिशा में जो क्रान्तिकारी कदम उठाये हैं, उनका लाभ बिहार में असंगठित क्षेत्र में नियोजित 97 प्रतिशत के साथ समस्त श्रम बल को मिल रहा है.
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