पर्यावरण-विकास में संतुलन से बिजली उत्पादन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 13 मई 2012

पर्यावरण-विकास में संतुलन से बिजली उत्पादन


तीर्थ यात्रियों और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हरिद्वार नगर में बिजली कटौती नहीं की जायेगी। सभी नदियां पूजनीय व मां के समान है। संत समाज का सम्मान करते हुए उनके हर प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जायेगा। पर्यावरण और विकास में संतुलन बनाकर राज्य सरकार बिजली उत्पादन करेगी। यह बात मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने हरिद्वार के भल्ला कालेज में आयोजित इंटक के कार्यक्रम में कही। मुख्यमंत्री बहुगुणा ने कहा कि हरिद्वार नगर में बिजली की कटौती नहीं की जायेगी, ताकि तीर्थ यात्रियों को कोई असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विद्युत उत्पादन मांग के अनुरूप न होने के कारण हमें पड़ोसी राज्य हिमांचल से बिजली खरीदनी पड़ रही है, जबकि हमारी जल विद्युत उत्पादन क्षमता 27 हजार मेगावाट है। वर्तमान में प्रदेश सरकार मात्र साढ़े तीन हजार मेगावाट जल वि़द्युत परियोजनाओं से पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि यहां पर जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण की पर्याप्त क्षमता है। उन्होंने कहा कि श्रमिकांे को उनका हक दिया जायेगा। सरकार द्वारा मनरेगा में भी श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाने के लिए भी प्रभावी कदम उठाये जा रहे है।

उन्होंने कहा हरिद्वार में लगने वाले उद्योगों में कुशल श्रमिकों की जरूरतों को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा सीमांत जनपदों में आईटीआई एवं पॉलीटेक्निक खोलने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि महिन्द्रा समूह उत्तराखण्ड में ऑटो मोबाइल क्षेत्र में तीन हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव सरकार को दिया है। उन्होंने कहा कि सभी नदियां पूजनीय है और हमारे लिए मां के समान है। संत महात्माओं का सम्मान व उनके प्रस्ताव पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी। पर्यावरण की चिंता पर खुली बहस की जायेगी, ताकि पर्यावरण और विकास में संतुलन बनाते हुए राज्य का विकास किया जा सके।

राष्ट्रीय अध्यक्ष इंटक संजीव रेड्डी ने कहा कि स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ठेकेदारों के माध्यम से श्रमिकों को लेने की प्रथा पर रोक लगायी जाय तथा मजदूरों का शेषण बंद करने के लिए प्रभावी कार्यवाही की जाय। कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि यह ऐतिहासिक सम्मेलन है। जल विद्युत परियोजनाएं राज्य की अर्थ व्यवस्था की ताकत है। छोटी-बड़ी नदियों पर निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाओं का पर्यावरणीय दृष्टि से चर्चा की जायेगी।



(राजेन्द्र जोशी)

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