विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी केन्द्र पर आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में प्रतिभाग करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि आतंकवादी खतरे से निपटने में प्रभावी व शक्तिशाली एनसीटीसी एक मुख्य भूमिका निभायेगी। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों की यह आशंका बिल्कुल गलत है कि प्रस्तावित एनसीटीसी देश की संघीय व्यवस्था के विपरीत है।
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि एनसीटीसी की धारणा के साथ केन्द्रीय सरकार आतकंवाद के विरूद्ध एक ठोस ढाचें को खड़ा कर रही है जो आतंकवाद विरोधी सूचनाओं का संकलन, विश्लेषण एवं मूल्याकंन करेगी। साथ ही साथ, एनसीटीसी आतंकवाद निरोध में लगी केन्द्र एवं राज्य की सभी खुफिया ऐजेन्सियों के साथ सूचना के आदान प्रदान तथा वृहद अभिलेख को एकत्रित करने का कार्य भी करेगी। इससे अभिसूचना का आदान प्रदान तथा उन पर आधारित अभियानांे को और अधिक तीव्र एवं कुशल बनाने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी।
एनसीटीसी के कानूनी पहलू को स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एनसीटीसी का विरोध करने वाले ‘‘बज की धारा 43‘‘ का संदर्भ दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह धारा प्राधिकृत अधिकारी को उन परिस्थितियों में जब किसी व्यक्ति के अर्न्तगत कोई अपराध किया है या किसी व्यक्ति द्वारा अपराध किये जाने की योजना बनाई है, गिरफ्तारी एवं तलाशी का अधिकार प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त धारा 43। के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों को धारा 43ठ के साथ पढ़ा जाना चाहिए, जिसमें गिरफ्तार व्यक्ति या तलाशी में प्राप्त सामग्री को बिना अनावश्यक विलम्ब के लिखित प्रपत्रों के साथ निकटतम थाने में प्रस्तुत करना होगा। तदोपरान्त थाना प्रभारी द्वारा सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुसार अग्रिम कार्यवाही की जायेगी।
मुख्यमंत्री बहुगुणा ने कहा कि एनसीटीसी की आपरेशन शाखा के प्रस्तावित स्टैन्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीज़र में यह स्पष्ट रुप से बताया गया है कि सामान्यतया आतंक विरोधी अभियान सम्बन्धित राज्य की एटीएस या पुलिस की अन्य इकाईयों द्वारा सम्पादित किये जाने चाहिये। जहाँ पर एनसीटीसी द्वारा कार्यवाही की जानी हो वहां सम्बन्धित राज्य के पुलिस महानिदेशक या एटीएस प्रमुख को अग्रिम सूचना दी जानी चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में जहाँ अग्रिम सूचना दिया जाना सम्भव न हो वहाँ अभियान के तत्काल बाद पुलिस महानिदेशक या एटीएस प्रमुख को सूचित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए पूर्व से ही स्थापित है। यह आश्चर्यजनक है कि वर्ष 2008 में प्राविधान किया गया था तब उसका धारा 43। कोई विरोध नहीं किया गया। एनसीटीसी की एक स्टैंडिंग काउंसिल होगी जिसमें प्रत्येक राज्य के आतंकवादी विरोधी संस्थाओं के प्रमुख सम्मिलित हांेगे। यह स्टैंडिंग काउंसिल इस बात को सुनिश्चित करायेगी कि सभी आतंकवाद निरोधी उपायों में एनसीटीसी एक केंन्द्रीय नियंत्रण व समन्वय का कार्य करेगी। एनसीटीसी काउंसिल में राज्यों के प्रतिनिधियों के होने से इन गतिविधियों के प्रति निसंदेह अधिक जागरूकता, आपसी समन्वय तथा उत्तरदायित्व बढे़गा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक व्यथित सत्यता है कि अनेक आतंकवादी संगठन भारत को राजनैतिक रूप से अस्थिर करने, आर्थिक विकास को रोकने तथा सामाजिक ढांचे को चोट पहुंचाने के कार्य में लगे हुए है। ऐसी स्थिति में केन्द्र के व्यापक सहयोग से एक सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। भारत व उसकी जनता को सुरक्षित बनाये रखना केन्द्र तथा राज्यों का उद्देश्य है। आतंकवादी खतरे से निपटने में प्रभावी व शक्तिशाली एनसीटीसी एक मुख्य भूमिका निभायेगी।
(राजेन्द्र जोशी)
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