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गुरुवार, 14 जून 2012

45 मुखिया पर एफआईआर दर्ज होगा.


पटना जिले में सवा करोड़ की सरकारी राशि की हेराफेरी करने वाले 45 मुखिया, 46 पंचायत सचिव और एक बीडीओ पर कार्रवाई की गाज गिरने वाली है. इन तमाम जन प्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों को अगले 15 दिनों में हेराफेरी की गई राशि को सूद समेत सरकारी खजाने में जमा कराने का निर्देश दिया गया है.

ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज कराकर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. जिले के उप विकास आयुक्त-सह-जिला परिषद् के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी और अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने सभी दस प्रखंडों के बीडीओ को निर्धारित समय सीमा के भीतर राशि की वसूली कर उसे जमा कराने का निर्देश दिया है.

राशि की वसूली नहीं होने पर अविलंब प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश भी दिए गए हैं. अधिकारिक कागजातों के मुताबिक 13वें वित्त आयोग के अंतर्गत ग्राम पंचायतों को आंगनबाड़ी केन्द्रों के निर्माण को लेकर राशि उपलब्ध कराई गई थी. परंतु नौ प्रखंडों के 46 ग्राम पंचायतों में संबंधित मुखिया और पंचायत सचिव ने मार्गदर्शिका का उल्लंघन करते हुए इस राशि से चापाकल एवं अन्य निर्माण कायरे पर व्यय कर दिया. 

व्यय की गयी राशि वर्ष 2010-11 और 2011-12 से संबंधित है. पटना के एक प्रखंड (दनियांवा) के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी पर भी राशि की हेराफेरी का मामला है. अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ प्रखंड के छह ग्राम पंचायतों में लगभग 30 लाख, दनियांवा प्रखंड में दो लाख, पंडारक के आठ ग्राम पंचायतों में 22.5 लाख, संपतचक के पांच ग्राम पंचायतों में साढ़े नौ लाख, विक्रम के दो ग्राम पंचायतों में 2.71 लाख, दुल्हिन बाजार के सात ग्राम पंचायतों में 17.69 लाख, धनरुआ के नौ ग्राम पंचायतों में 18.68 लाख, मसौढ़ी के दो ग्राम पंचायतों में 8.34 लाख, नौबतपुर के छह ग्राम पंचायतों में 10.53 लाख और पालीगंज के एक ग्राम पंचायत सिगोड़ी में 2.41 लाख रुपये की हेराफेरी की गई है.

उप विकास आयुक्त-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने मुखिया और पंचायत सचिवों के इन कार्य को मार्गदर्शिका का उल्लंघन माना है. उन्होंने संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारियों को पत्र जारी कर कहा कि योजनाओं पर व्यय की गई राशि की वसूली सूद सहित 15 दिनों के अंदर कर ली जाए एवं उसे संबंधित खातों में जमा करवाया जाए. 

अगर निर्धारित समय के अंदर राशि की वसूली और उसे सरकारी खजाने में जमा नहीं किया जाता है तो संबंधित ग्राम पंचायतों के मुखिया एवं पंचायत सचिवों पर सरकारी राशि का दुरुपयोग करने के आरोप में अविलंब प्राथमिकी दर्ज कराएं. दर्ज करायी गयी प्राथमिकी की एक कॉपी डीडीसी कार्यालय को भी उपलब्ध कराने को कहा गया है ताकि इसकी सूचना पंचायती राज विभाग को दी जा सके. 

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