राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने एक मर चुके शख्स की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है. बंदू बाबूराव तिड़के नाम का ये शख्स 16 साल की एक लड़की से बलात्कार और हत्या का दोषी था. इस अपराध के लिए उसे बंगालकोट की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के इस फैसले को बरकरार रखा. लेकिन अक्टूबर 2007 में इस शख्स की इलाज के दौरान मौत हो गई. उसकी मौत के पांच साल बाद उसकी दया याचिका पर राष्ट्रपति ने उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है.
राष्ट्रपति ने मौत की सजा पाए 35 कैदियों की सजा को उम्रकैद में बदला है. इसके अलावा पांच लोगों की दया याचिका को राष्ट्रपति ने ठुकरा भी दिया, इनमें राजीव गांधी के हत्यारे भी शामिल हैं.
राष्ट्रपति भवन द्वारा दिए गए बयान में राष्ट्रपति ने 19 मामलों में 35 व्यक्तियों को मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. जिन लोगों की दया याचिका को स्वीकार किया गया है उनमें सामूहिक हत्या, अपहरण, बलात्कार और बच्चों की हत्या के मामले शामिल हैं. पिछले तीन दशक में देश के किसी राष्ट्रपति ने इतनी बड़ी संख्या में मौत की सजा पाए कैदियों की सजा को उम्रकैद में नहीं बदला.
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