एनडीए में बिखराव के संकेत. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 19 जून 2012

एनडीए में बिखराव के संकेत.


जेडी (यू) के नेता देवेश चंद्र ठाकुर ने धमकी दी है कि यदि नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्‍मीदवार बनाया गया तो उनकी पार्टी एनडीए से अलग हो जाएगी। ठाकुर ने कहा, 'हम धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकते हैं। हम बलिदान करने को तैयार हैं लेकिन हम सांप्रदायिक छवि के किसी नेता का समर्थन नहीं करेंगे।'

नीतीश ने प्रधानमंत्री पद के लिए इशारों में ही अपनी दावेदारी का संकेत देते हुए एनडीए की तरफ से पीएम पद के लिए घोषित किए जाने वाले उम्‍मीदवार के लिए पांच बड़ी शर्तें रख दीं। इन शर्तों के आधार पर नरेंद्र मोदी को 100 में से सिर्फ 20 मार्क्‍स मिलेंगे और वह दौड़ से बाहर हो जाएंगे। हालांकि नीतीश ने मोदी का नाम नहीं लिया है। 

नीतीश कुमार ने कहा प्रधानमन्त्री का उम्‍मीदवार  विकसित राज्य का नहीं बल्कि बिहार जैसे कम विकसित राज्यों का होना चाहिए। उम्‍मीदवार ऐसे राज्‍यों के प्रति संवेदनशील हो। यह व्यक्ति ऐसा नहीं हो जो विकसित राज्य को और विकसित बनाने पर ही केवल ध्‍यान दे। बल्कि उसे कम विकसित राज्यों का 'दर्द' भी समझना चाहिए। यह नेता ऐसा हो जिसकी सेक्युलर छवि हो। यह शख्‍स उदार विचारों वाला हो और उसकी लोकतांत्रिक मूल्यों  में पूरी आस्था हो। कई धर्मों और भाषा वाले हमारे देश में पीएम पद के लिए उम्‍मीदवार पर किसी तरह का 'दाग' नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री को सबसे बड़े दल से होना चाहिए। छोटे दल केवल समर्थक की भूमिका निभा सकते हैं। एक यही शर्त है, जो नरेंद्र मोदी पूरी करते हैं। पीएम पद के उम्‍मीदवार के नाम का ऐलान एडवांस में कर देना चाहिए।

1996 और 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी पीएम पद के उम्‍मीदवार थे। 1999 और 2004 में एनडीए ने फिर से वाजपेयी के नाम पर भरोसा जताया। 2009 में लालकृष्‍ण आडवाणी को पीएम उम्‍मीदवार के तौर पर प्रोजेक्‍ट किया गया था। ऐसे में 2014 के चुनाव से पहले एनडीए को अपने उम्‍मीदवार के नाम का ऐलान कर देना चाहिए। नीतीश के मुताबिक लोगों को यह पता होना चाहिए कि वो आम चुनाव में किसके लिए वोट कर रहे हैं। इसलिए एनडीए को चुनाव के बाद नहीं बल्कि  पहले ही पीएम उम्‍मीदवार का ऐलान करना चाहिए। हालांकि बिहार के सीएम की यह शर्त पूरी करना भी आसान नहीं होगा, क्‍योंकि भाजपा में प्रधानमंत्री पद की दौड़ में कई नेता शामिल हैं और नाम घोषित कर दिए जाने से अंदरूनी झगड़ा बढ़ने की आशंका बढ़ जाएगी। प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार के नाम पर एनडीए में शामिल सभी घटक दलों की सहमति होनी चाहिये। गठबंधन लोगों का विश्वास तभी जीत सकता है जबकि उसका नेता सबको साथ लेकर चलने वाला हो।  

नीतीश ने भले ही कहा हो कि पीएम पद का उम्‍मीदवार बिहार जैसे राज्‍य से होना चाहिए, लेकिन यह भी कहा कि वह प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं और वह इतने बड़े ओहदे का सपना नहीं देखते। नीतीश का निशाना साफ साफ नरेंद्र मोदी की तरफ है जो हाल के दिनों में भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में तेजी से आगे आ गये हैं। नीतीश के बयान से यह भी लगता है कि वह किसी भी सूरत में मोदी को इस पद के लायक नहीं समझते।शुरू हुआ घमासान नीतीश की इस मांग के समर्थन में शिवसेना भी उतर आई है। शिवसेना सांसद भरत राउत ने कहा है कि एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी को पीएम उम्‍मीदवार के नाम का ऐलान एडवांस में करना चाहिए। बीजेपी नेता और नीतीश सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह ने नीतीश पर निशाना साधा है। उन्‍होंने कहा है कि पार्टी से कोई भी पीएम पद का उम्‍मीदवार हो सकता है। 

पूर्व मुख्यमंत्री केशूभाई पटेल मंगलवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं। इनके निशाने पर भी मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी होंगे। केशूभाई पार्टी आलाकमान को अपनी नाराजगी, इसके कारण और राज्य के हालात से अवगत करवाने जा रहे हैं। उनका तीन दिन तक दिल्ली में पार्टी आलाकमान और शीर्ष नेताओं से मिलकर अपनी बात रखने का कार्यक्रम है। 


कोई टिप्पणी नहीं: