ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में गिरफ्तार तीन आरोपितों रितेश उर्फ मोनू, सन्नी सिंह उर्फ हषर्वर्धन तथा अनिल पांडेय उर्फ टनटन का नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं होगा. तीनों आरोपितों ने मंगलवार को न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष बयान दिये, जिसमें उन्होंने नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए अपनी असहमति जतायी. हालांकि आरोपितों का टेस्ट देने से इनकार करना उनके खिलाफ भी जा सकता है.
पुलिस मुख्यालय भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 में मौजूद प्रावधानों के जरिये आरोपितों को घेरने के प्रयास में जुट गया है. सवालों का सामाना करने से भागने के पीछे आरोपितों की मंशा चाहे जो भी रही हो, लेकिन उनके इस निर्णय ने एसआईटी के अनुसंधान के सही दिशा में होने पर मुहर लगा दी है. मंगलवार को हुए इस घटनाक्रम के बाद राज्य पुलिस मुख्यालय ने एसआईटी को अनुसंधान की इसी दिशा में आगे बढ़ने की हरी झंडी दे दी. एसआईटी को अब अभय की तलाश है, ताकि हत्यारों के साथ इस कांड के साजिशकर्ताओं को भी पूरी तरह बेनकाब किया जा सके.
प्राप्त जानकारी के अनुसार एसआईटी ने ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में गिरफ्तार किये गये तीन आरोपितों मोनू, सन्नी सिंह तथा अनिल पांडेय को नार्को व पॉलीग्राफ टेस्ट देने को उनकी सहमति के लिए न्यायिक दंडाधिकारी मनोज कुमार के यहां बयान दर्ज कराया.
न्यायिक दंडाधिकारी ने जब तीनों से यह पूछा कि क्या आप लोग नार्को व पॉलीग्राफ टेस्ट कराना चाहते हैं, इसपर बिना किसी दबाव के तीनों ने ‘नहीं’ कहते हुए अपनी असहमति जता दी. 8 जून को एसआईटी ने आरा के न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आवेदन देकर इस हत्याकांड में गिरफ्तार तीनों आरोपितों का नार्को व पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की इजाजत मांगी थी. इसका मकसद आरोपितों द्वारा हत्या के संबंध में छिपाई जा रही जानकारी हासिल करना था. 15 जून को न्यायालय ने तीनों आरोपितों के नार्को व पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की सशर्त अनुमति दी थी, पर साथ ही अदालत ने इसके लिए आरोपितों की सहमति भी लेने का आदेश दिया था. उल्लेखनीय है कि नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट आरोपितों की मर्जी के बगैर नहीं कराये जा सकते.
आला पुलिस अधिकारियों का यह मानना है कि पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट का सामना करने से भागना उसके हक में है. उन्हें इस बात का डर था कि वे जिन बातों को छुपा रहे हैं वह टेस्ट के दौरान सामने आ सकता और पुलिस उसके आधार पर मजबूत साक्ष्य जुटा सकती है. मंगलवार के घटनाक्रम के बाद पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य इक्ट्ठा करने के साथ अभय की गिरफ्तारी लिए अपनी ताकत झोंक दी है. आला पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभय की गिरफ्तारी इस हत्याकांड में महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी. उसके पकड़े जाने से कई राज उजागर हो सकते हैं.
गौरतलब हो कि ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या 1 जून को तड़के कर दी गई थी. हत्या के पहले और बाद के करीब सवा घंटों में हुए मोबाइल कॉल्स के आधार पर पुलिस ने सबसे पहले जमशेदपुर से मोनू उर्फ रितेश, पटना से सन्नी और आरा के ही कतिरा मोहल्ले के रहनेवाले अनिल पांडेय को गिरफ्तार किया. घटना के दिन 3.30 से लेकर सुबह के 4.45 के बीच ये सभी मोबाइल से एक दूसरे के संपर्क में रहे और इनके द्वारा कई जगहों पर फोन कॉल्स किये गये. मोबाइल फोन पर हुई बातचीत के आधार पर ही अभय पांडेय की भी तलाश की गई लेकिन वह फरार होने में कामयाब रहा.
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