राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मुख्य विपक्षी गठबंधन में राजग में आम राय नहीं बन पाने पर भाजपा ने गुरुवार को इस शीर्ष संवैधानिक पद के लिए पीए संगमा को समर्थन देने की घोषणा की, जबकि इसके दो अन्य घटक दल शिवसेना और जदयू ने संप्रग के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को समर्थन देने का मन बनाया है।
राजग की दो बैठकों के बाद भी घटक दलों को मुखर्जी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के लिए सहयोगी दलों को राजी कर पाने में असफल होने पर लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने यहां भाजपा मुख्यालय में आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में संगमा को पार्टी की ओर से समर्थन दिए जाने की औपचारिक घोषणा की।
सुषमा ने हालांकि दावा किया कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजग में आम सहमति नहीं बन पाने के बावजूद विपक्षी गठबंधन इतना परिपक्व है कि भाजपा के इस फैसले से शिव सेना या जदयू के साथ संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि संगमा को समर्थन देने के बारे में भाजपा को अकाली दल का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि संप्रग के घटक दल और ममता बनर्जी के नेतत्व वाली तणमूल कांग्रेस को वह संगमा के समर्थन में साथ लाने का प्रयास करेंगी।
विपक्ष की नेता ने स्वीकार किया कि संगमा को समर्थन देने के संबंध में राजग विभाजित है। बहरहाल उन्होंने शिव सेना और जदयू से अपील की कि वे अपने रूख पर पुनर्विचार करें। संगमा के जीतने की संभावना के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा को अपनी ताकत का अदांजम है लेकिन वह राष्ट्रपति पद की चुनावी टक्कर में कांग्रेस को वाकओवर नहीं देना चाहती। उन्होंने कहा कि वैसे भी मुखर्जी की उम्मीदवारी तय करने से पहले संप्रग ने हमसे कोई विचार विमर्श नहीं किया।
राष्ट्रपति चुनाव लड़ने पर अड़े हुए राकांपा के संस्थापक सदस्य पीए संगमा ने कल पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। राकांपा उनकी उम्मीदवारी के खिलाफ थी और पार्टी ने उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी थी। संगमा ने ऐसे समय में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ा है जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में उन्हें समर्थन देने को लेकर राजग बंटा हुआ है। भाजपा जहां संगमा का समर्थन करने के लिए तैयार है वहीं सहयोगी शिवसेना ने उन्हें समर्थन देने से खुलकर इनकार किया है और संप्रग के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को समर्थन जताया है। राजग के एक अन्य प्रमुख सहयोगी दल जदयू को भी संगमा के नाम पर आपत्ति है।
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