पटना एयरपोर्ट सुरक्षा के अंतर्राष्ट्रीय मानक को पूरा नहीं कर रहा है. हवाई अड्डे की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ते जा रही है. चिड़ियाघर में पेड़ों की कटाई पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान ने एयरपोर्ट प्रशासन के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया. हाल ही में डीजीसीए ने स्पष्ट कहा था कि अगर चिड़ियाघर के ऊंचे-ऊंचे पेड़ों की कटाई नहीं की गयी तो यहां से बड़े विमानों का परिचालन बंद करना पड़ेगा.
इससे पहले भी डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने पटना एयरपोर्ट को देश का सबसे खतरनाक एयरपोर्ट घोषित किया था. डीजीसीए की रिपोर्ट के अनुसार पटना एयरपोर्ट सुरक्षा के अंतर्राष्ट्रीय मानक को पूरा नहीं कर रहा है. रिपोर्ट के आधार पर पटना एयरपोर्ट पर कभी भी विमानों के परिचालन पर रोक लगायी जा सकती है.
एयरपोर्ट सूत्र के अनुसार पटना एयरपोर्ट के वर्तमान रनवे का भी पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. पटना एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई मात्र 6545 फीट है. इतना ही नहीं पूरबी छोर से विमान के लैंडिंग में 6000 फीट और पश्चिमी छोर से विमान के लैंडिंग में मात्र 5000 फीट रनवे का उपयोग हो पाता है.
अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में प्रयोग किए जाने वाले विमानों के लैंडिंग और टेकऑफ के लिए रनवे की लंबाई 9000 फीट होनी आवश्यक है. रनवे की लंबाई आवश्यक्ता से काफी कम होने के कारण घरेलू उड़ान के बड़े विमान मजबूरी में क्षमता से कम यात्रियों को लेकर उड़ान भरते हैं. सूत्र के अनुसार अगर राज्य सरकार का सहयोगपूर्ण रवैया नहीं रहा तो यहां से कभी भी बड़े विमानों का परिचालन बंद किया जा सकता है. मालूम हो कि फिलहाल पटना एयरपोर्ट पर हर दिन सोलह विमानों का परिचालन हो रहा है जिसमें चौदह बड़े और दो छोटे विमान शामिल हैं.
अधिकारियों के अनुसार रनवे के पश्चिमी 007 छोर की ओर फुलवारी रेलवे हॉल्ट और पूरबी 025 छोर की तरफ चिड़ियाघर के ऊंचे-ऊंचे पेड़ और सचिवालय का टावर होने के कारण विमान के लैंडिंग और टेकऑफ में काफी परेशानी होती है. निर्धारित मानक से कम लंबा रनवे होने के कारण विमान को नीचे उतारने में पायलट को तेज ब्रेक लेना पड़ता है. एयरपोर्ट अधिकारियों की मानें तो बिहार सरकार द्वारा पटना एयरपोर्ट प्रशासन को किसी भी तरह की मदद नहीं पहुंचाई जा रही है. पिछले महीने एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा चिड़ियाघर के 3000 ऊंचे-ऊंचे पेड़ों को काटने और छांटने का आग्रह किया गया था लेकिन, सरकार की ओर से इसमें भी सहयोग नहीं किया गया. सहयोग के नाम पर चिड़ियाघर के मात्र 900 पेड़ों की टहनियों को छांट कर खानापूर्ति की गयी है.
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