पाकिस्तान की जेल में उम्रकैद की सजा काटने के बाद भारतीय सुरजीत सिंह गुरुवार सुबह वाघा बॉर्डर से भारत पहुंच गए हैं। सरबजीत के रिहा न होने के गम में हर कोई सुरजीत के परिवार की खुशी को भुला बैठा। सुरजीत को गुरुवार सुबह लाहौर की कोट लखपत जेल से रिहा किया गया।
वह पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ वाघा बॉर्डर पहुंचे। उन्हें वहां भारतीय अधिकारियों के सुपुर्द किया गया। सुरजीत की रिहाई से उनके गांव व परिवार में खुशी का माहौल है। वहीं सरबजीत का परिवार उनकी रिहाई के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठा है।
भारत पहुंचने पर सुरजीत ने कहा कि वह बेहद खुश हैं। उन्होंने साथ ही पाकिस्तान का भी शुक्रिया अदा किया। सुरजीत ने कहा कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार थे। उन्होंने बताया कि जेल में उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। साथ ही उन्होंने कहा,'दोनों देशों की जेलों में बंद एक-दूसरे के कैदियों को रिहा किया जाना चाहिए।' सुरजीत सिंह 30 साल से ज्यादा वक्त से पाकिस्तान की कैद में थे। उन्हें भारतीय सीमा के नजदीक पकड़ा गया था। उस पर जनरल जिया-उल-हक के शासनकाल के दौरान जासूसी करने का आरोप लगाया गया। उन्हें 1989 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की सिफारिश पर सुरजीत की मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी गई थी।
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