प्रधानमंत्री पद के लिए धर्मनिरपेक्ष उम्मीदवार संबंधी बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के विचार को आगे बढ़ाते हुए जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने बुधवार को कहा कि यह भाजपा को तय करना है कि उसे सरकार बनानी है या विपक्ष में बैठना है, क्योंकि देश कट्टर चेहरों के पक्ष में नहीं है।
तिवारी ने कहा कि भाजपा ने 1996 में ही यह समझ लिया था कि वह अपने कट्टर हिन्दूत्व एजेंडे के आधार पर सरकार नहीं बना सकती है और इसलिए राम मंदिर, समान आचार संहिता और जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाने जैसे तीन विवादास्पद मुद्दों को अलग रखने पर सहमति बनाने के बाद राजग का गठन किया गया। इस बदले हुए रूख को आरएसएस का भी समर्थन प्राप्त था।
तिवारी ने कहा कि चुनाव के बाद के सर्वेक्षणों में यह उल्लेख किया गया था कि अगर गुजरात में हुए दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मोदी सरकार को बर्खास्त कर दिया होता तो 2004 के आम चुनाव में राजग पराजित नहीं होता। जदयू नेता ने कहा कि वाजपयी ने मोदी से राजधर्म का पालन करने को कहा था और चाहते थे कि सरकार जाये लेकिन इस प्रयास पर लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने वीटो कर दिया।
तिवारी ने कहा कि गुजरात दंगों के बाद ऐसे लोग पार्टी से विमुख हो गये जिन्होंने वाजपेयी के उदार चेहरे के चलते भाजपा को वोट दिया था और अस्थिर (फ्लोटिंग) वोट कांग्रेस के खाते में चला गया, क्योंकि देशवासी कट्टर राजनीति को स्वीकार नहीं करते। तिवारी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा ने कहा कि किसी को भी उसके नेताओं की धर्मनिरपेक्ष विश्वसनीयता पर फतवा जारी करने का अधिकार नहीं है।
भाजपा के नेता बलवीर पुंज ने कहा कि यह अनावश्यक विवाद है। इस देश में किसी को भी यह फतवा जारी करने का अधिकार नहीं है कि कौन धर्मनिरपेक्ष है और कौन नहीं। लोगों की अपनी राय है।
तिवारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा में दो तरह की सोच है। एक राय यह है कि अगर वह सत्ता में आना चाहती है तो राजग जैसे बड़े समूह की जरूरत है, क्योंकि कट्टर चेहरे को आगे बढा कर सरकार नहीं बनाई जा सकती। उन्होंने कहा कि दूसरी राय यह है कि 1996 के पहले की अपनी विचारधारा में लौटा जाये। यह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान से जाहिर होता है। लेकिन भागवत को समझना चाहिए कि देश इस विचारधारा को स्वीकार नहीं करता और इस तरह की विचारधारा से भाजपा सरकार नहीं बना सकती।
तिवारी ने संघ प्रमुख के कथित बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि जदयू का आरएसएस प्रमुख की टिप्पणियों से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि जदयू का गठबंधन भाजपा के साथ है आरएसएस के साथ नहीं। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब भी भारत में धर्मनिरपेक्ष ताकतों का शासन रहा है इसने तरक्की की है और जब फासिस्ट ताकतों ने सत्ता हथियाई इसे नुकसान हुआ। उन्होंने इस मामले में एक ओर अकबर और अशोक का तथा दूसरी ओर औरंगजेब का उदाहरण दिया।
पुंज ने कहा कि जदयू को यह नहीं भूलना चाहिए कि जब 2002 में गुजरात में दंगा हुआ था तो नीतीश कुमार राजग और केन्द्र सरकार का हिस्सा थे। पूरे विवाद का कोई मतलब नहीं है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेन्द्र मोदी तक सभी भाजपा नेता भाजपा की नीतियों से बंधे हैं। आप यह नहीं कह सकते कि अमुक नीतियों का पालन कर रहा है और अमुक नहीं क्योंकि विश्व के किसी भी अर्थ में भाजपा एक धर्मनिरपेक्ष दल है। इसीलिए नीतीश कुमार सरकार में शामिल थे और बिहार में उनकी सरकार भाजपा के साथ सत्ता में साझेदार है।
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