पूंजी बाजार नियामक सेबी म्युचुअल फंड कंपनियों से उनकी ऐसी निवेश स्कीमों के बारे में जवाब तलब करेगा, जिनका प्रदर्शन ठीक नहीं है। सेबी यह जांच भी करेगा कि ऐसी स्कीमें निवेश के अपने घोषित उद्देश्यों के अनुरूप क्यों नहीं चल सकी हैं। लंबी अवधि वाली कुछ योजनाओं के अच्छा प्रदर्शन नहीं करने पर चिंता जताते हुए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन यूके सिन्हा ने कहा कि म्युचुअल फंड कंपनियों को मामले पर गौर करने तथा कुछ योजनाओं के विलय करने की जरूरत है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) म्युचुअल फंड उद्योग की एक बैठक में सिन्हा ने यह भी कहा कि कोष के लक्ष्यों के संदर्भ में नियमों का पालन नहीं करने को लेकर नियामक संपत्ति प्रबंधन कंपनियों की जांच करेंगे। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक म्युचुअल फंड योजनाओं का घोषित निवेश उद्देश्य है और उन्हें उनके अनुसार निवेश करना होता है। सिन्हा ने कहा कि सेबी लंबे समय से प्रदर्शन नहीं करने वाले म्युचुअल फंड योजनाओं से जुड़ी कंपनियों के मुख्य कार्यकारियों तथा कोष प्रबंधकों से पूछताछ करने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि म्युचुअल फंड प्रबंधन को प्रदर्शन नहीं करने वाले क्षेत्रों पर गौर करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वह प्रत्येक मामले के आधार पर योजनाओं के विलय के पक्ष में हैं।
म्युचुअल फंड कंपनियों के समक्ष पेंशन योजना शुरू करने को लेकर कोई बाधा नहीं है, लेकिन करारोपण के मुद्दे को सुलझाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम कर विभाग के अधिकारियों के संपर्क में हैं और पेंशन उत्पादों के मामले में समान व्यवहार किये जाने की मांग की है। पी-नोट्स के जरिये पूंजी निवेश को लेकर हाल के विवाद के बारे में सिन्हा ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में पी नोटस में कमी आयी है और सरकार तथा सेबी पात्र संस्थागत निवेश को बढ़ावा दे रहे हैं। पी- नोट्स यानी पार्टिसिपेटरी नोटस विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के आधार पर विदेश में जारी की जाने वाली डेरिवेटिव प्रतिभूतियां है। इनके माध्यम से धनाढ्य विदेशी निवेशकों को परोक्ष रूप से भारत में निवेश का अवसर मिलता है।
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