शहाबुद्दीन होंगे पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 20 जून 2012

शहाबुद्दीन होंगे पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री.


सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के बाद इस पद के लिए वरिष्ठ नेता मखदूम शहाबुद्दीन को नामांकित किया है।
    
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री पद के लिए शहाबुद्दीन को नामांकित किए जाने का फैसला पीपीपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में किया गया। यह बैठक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की अध्यक्षता में बुधवार तड़के हुई।
    
खबर के अनुसार, बैठक में यह भी तय किया गया कि नेशनल असेंबली या संसद के निचले सदन का सत्र गुरुवार को बुलाया जाए ताकि सदन के नए नेता को औपचारिक तौर पर चुना जा सके। इस घटनाक्रम पर पीपीपी या राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। 
    
पीपीपी की केंद्रीय कार्यकारी समिति और पीपीपी नीत सत्तारूढ़ गठबंधन की दो अलग अलग बैठकें हुई थीं। दोनों बैठकों में पीपीपी प्रमुख जरदारी को नया प्रधानमंत्री चुनने के लिए अधिकत किया गया। समझा जाता है कि इस पद के लिए उम्मीदवार की औपचारिक घोषणा आज दोपहर को पीपीपी के संसदीय दल की बैठक होने के बाद की जाएगी। पीपीपी और इसके सहयोगियों की बैठक के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री गिलानी ने शहाबुद्दीन की उम्मीदवारी को लेकर आपत्ति जताई। गिलानी और शहाबुद्दीन दोनों ही पंजाब के दक्षिणी भाग के रहने वाले हैं और समझा जाता है कि गिलानी की आपत्ति का कारण उनके बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है।
    
सूत्रों ने बताया कि सत्तारूढ़ गठबंधन के दलों के नेताओं ने जरदारी को नए प्रधानमंत्री के निर्वाचन के लिए पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया। उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं ने गिलानी को अयोग्य ठहराए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के साथ कोई टकराव मोल न लेने की सलाह दी है।  पीपीपी की योजना पंजाब के दक्षिणी भाग में सेराइकी पट्टी से एक नया प्रांत बनाने की है। यही वजह है कि शहाबुद्दीन प्रधानमंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार के तौर पर उभरे हैं। जरदारी ने गिलानी को अयोग्य ठहराए जाने के बाद शीघ्र आम चुनाव कराने के आहवान संबंधी विकल्प को नकार दिया है। सूत्रों ने कहा कि कल की बैठक में शहाबुद्दीन प्रधानमंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार के तौर पर उभरे। वर्ष 2008 से गिलानी मंत्रिमंडल में उन्होंने कई मंत्रालयों का जिम्मा संभाला। 
    
पीपीपी की एक महत्वपूर्ण सहयोगी पीएमएल-क्यू के शीर्ष नेतृत्व ने पंजाब में राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता के चलते पूर्व रक्षा मंत्री चौधरी अहमद मुख्तार की उम्मीदवारी का विरोध किया था। फरवरी में गिलानी के मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान शहाबुद्दीन को विदेश मंत्री बनाया जाना था। लेकिन आखिरी समय पर यह योजना पार्टी ने बदल दी क्योंकि शाह महमूद कुरैशी को जब यह पता चला कि विदेश मंत्रालय उन्हें नहीं मिलेगा तो उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में भाग नहीं लिया था।
    
गिलानी की तरह ही, शहाबुद्दीन एक आध्यात्मिक परिवार से संबंध रखते हैं जिसकी गहरी प्रतिष्ठा है। साथ ही यह परिवार सूफी संत शाह-रूख-ए-आलम के मकबरे की देखभाल भी करता है। पार्टी के कुछ नेताओं ने पूर्व मंत्रियों हिना रब्बानी खार, खुर्शीद शाह और समीना घमुरकी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सुझाया था। लेकिन उन्हें इस पद के लिए दौड़ में अग्रणी नहीं समझा गया। प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अगुवाई वाली, तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने कल गिलानी को अयोग्य घोषित कर दिया था। पीठ का यह फैसला उन कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया जिनमें गिलानी को अवमानना का दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित न किए जाने के नेशनल असेंबली की स्पीकर फम्हमीदा मिजर्म के फैसले को चुनौती दी गई थी।
    
पीठ ने कल व्यवस्था दी थी कि प्रधानमंत्री का पद 26 अप्रैल से ही रिक्त है। राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैंड में भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने से इंकार के लिए सात न्यायाधीशों की एक पीठ ने 26 अप्रैल को ही गिलानी को अवमानना का दोषी ठहराया था।

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