भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि केंद्र सरकार की आर्थिक उदारवाद की नीति 'अमेरिकी उधारवाद' में बदल गई है, जिसके चलते भारत में डॉलर मालामाल और रुपया कंगाल हो रहा है। नकवी ने यहां मंगलवार को आपातकाल पर आयोजित एक गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री देश में आर्थिक चमत्कार होने की बात तो करते हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था और चौपट होती जा रही है। दरअसल, अर्थशस्त्रियों की सरकार जमीन-शास्त्र से पूरी तरह कट चुकी है, जिसका नतीजा है कि देश सभी संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद आर्थिक दिक्कतों से निजात नहीं पा रहा है।
उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि जिस किसी देश ने आत्मनिर्भर अर्थनीति के बजाय अमेरिका पर निर्भर अर्थनीति के सहारे देश की अर्थव्यवस्था को संचालित करने की कोशिश की, वह देश अपनी अर्थव्यवस्था को औंधे मुंह गिराता रहा। भारत में डॉलर का हर दिन तंदरुस्त होना और रुपये का 'बीमार' होना सरकार के गलत आर्थिक ताने-बाने का नतीजा है। नकवी ने कहा, "आज अमेरिका तय कर रहा है कि भारत को कच्चा तेल किस देश से लेना है, भारत को सबसे सस्ता तेल बेच रहे ईरान से खरीद में भारी कटौती अमेरिकी दबाव के चलते कर दी गई। दुनिया में हर दिन कच्चे तेल के दाम घट रहे हैं, पर भारत में पेट्रोल के दाम आसमान छू रही है। बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में भी पेट्रोल की कीमत भारत से आधी है।"
उन्होंने कहा कि सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा है कि भारत में गेहूं के रिकार्ड उत्पादन के बावजूद विदेशों से खरबों रुपये का गेहूं खरीदने की तैयारी चल रही है। देश में पैदा गेहूं खुले मैदान में सड़ रहा है, लेकिन उसके रखरखाव की व्यवस्था करने के बजाय सरकार विदेशी बाजार से गेहूं खरीदने में व्यस्त है। इसके पीछे सरकार और मंहगाई माफियाओं की गहरी सांठगांठ है। नकवी ने कहा कि आज देश 'आर्थिक आपातकाल' झेल रहा है। सरकार आम आदमी के आर्थिक सरोकार पर हमला कर कुछ विदेशी कम्पनियों एवं पूंजीपतियों के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए काम कर रही है, जिसके चलते मंहगाई व बेरोजगारी चरम पर है और मूलभूत विकास का काम ठप्प पड़ गया है।
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