महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग के समक्ष शनिवार को पेश हुए।
नवंबर, 2010 में इस कथित घोटाले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले चव्हाण, सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में 14 आरोपियों में एक हैं। सीबीआई कोलाबा में खड़ी इस 31 मंजिला इमारत के निर्माण में कई अनियमितताएं और नियमों के उल्लंघन के आरोपों की जांच कर रही है।
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि बतौर राजस्व मंत्री चव्हाण ने रक्षाकर्मियों के लिए बन रही इस सोसायटी में नागरिकों को भी शामिल करने की अनुमति दी थी और उसके बदले में दक्षिण मुम्बई की इस ऊंची इमारत में उनके रिश्तेदारों को फ्लैट मिले। इस प्राथमिकी में कई सेवानिवृत सैन्य अधिकारियों एवं नौकरशाहों के भी नाम हैं।
विलासराव देशमुख जब पहली बार 1999 से 2003 तक मुख्यमंत्री थे, तब चव्हाण उनके मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री थे।
सत्ताईस जून को अपनी पेशी के दौरान देशमुख ने अपने को निर्दोष बताने का प्रयास किया था और यह कहते हुए चव्हाण के सर पर ठीकरा फोड़ा था कि सारा मामला अनापत्ति के लिए राजस्व विभाग को भेजा गया था और उसके बाद भूमि आवंटित हुई। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री देशमुख ने यह भी कहा था कि सोसायटी में नागरिकों को सदस्य के तौर पर शामिल करने का निर्णय भी चव्हाण ने ही किया था, जबकि बताया जाता है कि वह सोसायटी रक्षा सेवाओं के सदस्यों और युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं के लिए थी। उनसे पहले, एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे सोमवार को आयोग के समक्ष पेश हुए थे। केंद्रीय बिजली मंत्री शिंदे ने भी यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास किया था कि भूमि आवंटित करने और सोसायटी के लिए अतिरिक्त एफएसआई मंजूर करने का फैसला देशमुख के मुख्यमंत्रित्व काल में किया गया था।
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