अमेरिका को उम्मीद है कि वर्ष 2013 में भारत को हथियारों की बिक्री में वृद्धि होगी और रक्षा मंत्री की हाल ही में संपन्न नई दिल्ली की यात्रा के बाद दोनों देशों में नजदीकी और बढ़ेगी। राजनीतिक-सैन्य मामलों के सहायक विदेश मंत्री एंड्रयू शैपीरो ने कहा हमें उम्मीद है कि भारत को की जाने वाली हथियारों की बिक्री बढ़ेगी। हमने पिछले दशक में अपने संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है।
पहले भारत को हथियारों की बिक्री लगभग नहीं के बराबर थी लेकिन आज उसे करीब आठ अरब डॉलर मूल्य के हथियारों की बिक्री की जा रही है। उन्होंने कहा इससे भी बढ़ कर, फिलहाल कई निविदाएं हैं और हमें इनमें सफलता की उम्मीद है। इनमें अपाचे हेलीकॉप्टरों के लिए एक निविदा भी शामिल है।
शैपीरो ने कहा हम उनके लिए लगातार वकालत कर रहे हैं और हमें आने वाले वर्ष में भारत के साथ हथियारों की बिक्री में और अधिक सफलता मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में अमेरिका ने विदेशी सैन्य बिक्री में खासी सफलता हासिल की है और 50 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है।
शैपीरो ने कहा वित्त वर्ष 2011 में हमने 20 अरब डॉलर से अधिक बढ़ोत्तरी हासिल की है और चालू वित्त वर्ष में हमारे पास आधे से अधिक समय शेष है। उन्होंने कहा कि हालिया वर्षों में ब्राजील और भारत जैसी उभरती शक्तियों और विकासशील देशों में वद्धि तथा हथियारों की बिक्री उल्लेखनीय रही है। इससे हमारे कूटनीतिक प्रयासों का पता चलता है। उन्होंने कहा इस संदर्भ में वित्त वर्ष 2011 में 30 अरब डॉलर से अधिक की शस्त्र बिक्री हुई जो कि एक रिकार्ड है। चालू वित्त वर्ष में वर्ष 2011 की तुलना में कम से कम 70 फीसदी वृद्धि होने का अनुमान है। इस बिक्री से हजारों अमेरिकियों को रोजगार मिलता है और अर्थव्यवस्था के लिए यह एक अच्छी खबर है।
शैपीरो ने कहा कि सउदी अरब के साथ दिसंबर में हुए अमेरिकी समझौते का विस्तार कर उसमें सुरक्षा सहयोग भी शामिल किया गया है और इसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर होगा। औद्योगिक जगत के विशेषज्ञों के अनुसार, यह समझौता अमेरिका में 50,000 से अधिक रोजगार सृजित करने में मददगार होगा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सालाना 3.5 अरब डॉलर का लाभ पहुंचाएगा।
शैपीरो के अनुसार, इस समक्षौते से न केवल वैमानिकी क्षेत्र में रोजगार में मदद मिलेगी बल्कि अमेरिका की निर्माण और सहयोग श्रृंखला में भी मदद मिलेगी जो उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा को सतत बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। सउदी अरब को 29.4 अरब डालर मूल्य के हथियारों की बिक्री होती है। दिसंबर में सउदी अरब ने एक पेशकश एवं स्वीकार्यता संबंधी पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। यह पत्र 84 अत्याधुनिक एफ-15एसए लड़ाकू विमानों सहित अन्य रक्षा साजोसामान की खरीदी के लिए था। इसमें उसके कुल 70 एफ-15 विमानों के बेड़े का उन्नयन, युद्ध सामग्री, कल पुर्जे, प्रशिक्षण, प्रबंधन और अन्य साजोसामान भी शामिल है। शैपीरो ने कहा कि हथियारों की बिक्री में जापान को संयुक्त हमला लड़ाकू विमानों की बिक्री भी शामिल है जो करीब 10 अरब डॉलर मूल्य की होगी।
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