महाराष्ट्र के मंत्रालय में लगी आग की लपटें भले ही शांत पड़ गई हैं, लेकिन इसमें से साजिश का धुंआ बाहर निकलना शुरू हो गया है। राज्य के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने ही इस धुंए को हवा देते हुए कहा कि मैं हैरान हूं कि मेरा दफ्तर जलकर राख हो गया, जबकि सीएम साहब के चैंबर में कुछ भी नहीं जला। उन्होंने कहा कि सीएम के चैंबर के बगल में दो चैंबर और हॉल पूरी तरह जल कर खाक हो गए, लेकिन सीएम के टेबल पर रखे लेटरपैड तक को कुछ नहीं हुआ।
हालांकि, मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने साजिश की रिपोर्टों को खारिज कर दिया है। उन्होंने पहले ही इस घटना की जांच क्राइम ब्रांच से कारने के आदेश दे दिए हैं, लेकिन विपक्ष के नेताओं ने मांग की है कि यह जांच की जानी चाहिए कि कहीं यह साजिश का नतीजा तो नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस आग में महत्वपूर्ण दस्तावेज नष्ट हो गए हैं, उन्होंने माना कि कई अहम फाइलें जलकर खाक हो गई हैं। इनमें से ज्यादातर जमीन से जुड़े ऐसे सौदों की फाइलें हैं जिनकी जांच चल रही है। हालांकि, दो लाख 27 हजार फाइलों के तीन करोड़ 18 लाख पन्नों को स्कैन किया गया था और वे सुरक्षित हैं।
महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टी बीजेपी और शिवसेना ने कहा है कि यह हादसा नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश है। बीजेपी प्रवक्ता माधव भंडारी ने कहा का घटना की पूरी जांच होनी चाहिए, ताकि सचाई सामने आ सके।' माधव ने यह भी कहा है कि आग को बुझाने में प्रशासन की ओर से की गई देरी भी यह बताने के लिए काफी है कि यह घोटालेबाजों को बचाने के लिए सरकार की एक चाल है। शिवसेना प्रवक्ता राहुल नारवेकर का कहना है कि सरकार यदि राज्य की सबसे अहम मंत्रालय को महफूज नहीं रख सकती तो राज्य के बाकी हिस्सों की कैसे रक्षा कर पाएगी।
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