आरोपों से घिरे पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को राहत देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को उन्हें भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में गुरुवार को अग्रिम जमानत दे दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) करोड़ों रुपये के खनन घोटाले से जुड़े इस मामले की जांच सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर कर रही है।
न्यायमूर्ति बी. सुबाष बी. आदि ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खचाखच भरी अदालत में अपना फैसला सुनाया। उन्होंने येदियुरप्पा के दोनों बेटों बी.एस. राघवेंद्र और बी.एस. विजयेंद्र तथा दामाद सोहन कुमार की भी अग्रिम जमानत मंजूर कर ली। इन तीनों पर भी खनन कंपनियों से रिश्वत लेने का आरोप है।
येदियुरप्पा और उनके रिश्तेदरों ने उच्च न्यायालय की शरण तब ली जब सीबीआई की विशेष अदालत ने 13 जून को अग्रिम जमानत के लिए दायर उनकी याचिका खारिज कर दी। येदियुरप्पा के वकील वी.एस. नागेश और उनके रिश्तेदारों के वकील अशोक हरनाहल्ली की दलीलें स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति आदि ने 200,000 रुपये प्रत्येक के मुचलके और कुछ शर्तो पर चारों आरोपियों को अगिम जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति आदि ने अदालत में कहा कि आरोपी सीबीआई की अनुमति के बिना बेंगलुरु नहीं छोड़ेंगे और सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। इन शर्तो में से किसी एक का उल्लंघन करने पर सीबीआई अगिम जमानत रद्द करवाने के लिए इस अदालत में याचिका दायर कर सकती है। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने जब स्वयं द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की सिफारिशों को 11 मई को स्वीकार कर लिया, उसके बाद सीबीआई ने 15 मई को इन आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सीईसी ने जिंदल स्टील वर्क्सा और उसकी सहयोगी कम्पनी साउथ वेस्ट माइनिंग लिमिटेड को खनन पट्टे आवंटित करने के एवज में कथित तौर पर रिश्वत लिए जाने के मामले की पूरी जांच की सिफारिश की है।
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