भारत IMF को 10 अरब डॉलर देगा. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 19 जून 2012

भारत IMF को 10 अरब डॉलर देगा.


भारत ने कर्ज संकट में फंसे 17 सदस्यीय यूरो जोन को 10 अरब डॉलर की सहायता दिए जाने की मंगलवार को घोषणा की। यह राशि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ से दी जाने वाली अतिरिक्त 430 अरब डॉलर के कोष में दी जाएगी। इसका उद्देश्य डगमगाती विश्व अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना और वित्तीय संकट को फैलने से रोकना है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विकसित एवं विकासशील देशों (जी-20) के सातवें शिखर सम्मेलन में संबोधित करते हुए भारत की तरफ से यूरो क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता दिए जाने की घोषणा की। प्रोत्साहन कोष के लिए आईएमएफ में योगदान बढ़ाने की बढ़ती मांग के बीच मेक्सिको के इस रिजॉर्ट शहर में यह सम्मेलन हो रहा है। 

भारत तथा ब्रिक्स के अन्य देशों के संकल्प से आईएमएफ को संसाधन बढ़ाने में मदद मिली है। 430 अरब डॉलर के इस कोष का उपयोग यूरो क्षेत्र की वित्तीय संकट में फंसी अर्थव्यवस्था को बाहर निकालने में किया जाना है।

 मनमोहन सिंह ने अपने संबोधन में विश्व के नेताओं से कहा, 'अंतरराष्ट्रीय मुदा कोष को यूरो क्षेत्र को स्थिर करने में महत्वपूर्ण सहायक भूमिका निभानी है। सभी सदस्य देशों को निश्चित रूप से मदद करनी चाहिए ताकि आईएमएफ अपनी भूमिका निभा सके। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि आईएमएफ के अतिरिक्त 430 अरब डॉलर की मदद राशि में भारत ने 10 अरब डॉलर का योगदान करने का निर्णय किया है।' जी-20 देशों का दुनिया के कुल जीडीपी में 80 प्रतिशत योगदान है।

भारत ने प्रोत्साहन राशि देने का संकल्प जताया था लेकिन यह नहीं बताया था कि वह वास्तव में कितनी राशि देगा। चीन के उप वित्त मंत्री झु गुआंगयो के अनुसार ब्रिक्स देशों ने यूरो क्षेत्र की मदद के लिए 60 अरब डॉलर का योगदान देने का संकल्प जताया है। बिक्स में भारत और चीन के अलावा ब्राजील, रूस तथा दक्षिण अफ्रीका हैं। आईएमएफ कोष से कर्ज के पुनर्भुगतान में समस्या झेल रहे देशों को मदद मिलेगी लेकिन यूरो क्षेत्र के नेताओं पर जी-20 देशों का सुधारों को आगे बढ़ाने का दबाव है ताकि भविष्य में इस प्रकार के वित्तीय संकट से बचा जा सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित देशों ने धनी देशों में कार्यक्रमों की मदद के लिए आईएमएफ के संसाधनों में उल्लेखनीय वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के संसाधन आधार इसलिए बढ़ाने की जरूरत है ताकि वह विकासशील देशों को अपने विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद कर सके। सिंह ने कहा कि इस बात को लेकर चिंता है कि जो कोष उपलब्ध है, वह वित्तीय संकट से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है।उन्होंने कहा, 'यूरोप तथा आईएमएफ द्वारा अभी जो संसाधन जुटाए जाने की उम्मीद है वह एक वर्ष पूर्व के अनुमान से कम है जबकि संकट ज्यादा गंभीर है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि संकट का हल नकदी उपलब्धता पर निर्भर है लेकिन नकदी उस स्थिति में कारगर नहीं होती जब कर्ज चुकाने की क्षमता को लेकर सवाल हो। उन्होंने कहा कि इस समस्या के हल के लिए प्रभावी समायोजन कार्यक्रमों के साथ नकदी उपलब्ध करायी जानी चाहिए।

मनमोहन सिंह ने कहा कि समायोजन कार्यक्रम ऐसे होने चाहिए जिससे आर्थिक वृद्धि में तेजी आए ताकि देश संकट से बाहर निकल सके।वैश्विक आर्थिक स्थिति को चिंताजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधार की गाड़ी डगमगा रही है और यहां तक कि तेजी से उभरते बाजारों में विकास की रफ्तार धीमी हो गई है। 

कोई टिप्पणी नहीं: