सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के उस प्रस्ताव को गुरुवार को टाल दिया, जिसमें सरकारी नौकरियों और प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के लिए अन्य पिछडा वर्ग के लोगों की क्रीमी लेयर की आय सीमा साढे चार लाख रुपये से बढाकर छह लाख रुपये सालाना करने का प्रावधान था।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव आज कैबिनेट के समक्ष पेश किया गया लेकिन इसे फिलहाल टाल दिया गया है। मंत्रालय ने उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों में अन्य पिछडा वर्ग के अधिक से अधिक उम्मीदवारों को मौका देने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव पेश किया था। क्रीमी लेयर की आय सीमा इससे पहले 2008 में ढाई लाख से बढाकर साढे चार लाख रुपये सालाना की गई थी लेकिन इससे भी अन्य पिछडा वर्ग के तहत उपलब्ध रिक्तियों को भरने में अपेक्षित परिणाम नहीं निकल पाये। मंत्रालय ने शहरी इलाकों में क्रीमी लेयर की आय सीमा 12 लाख रुपये और ग्रामीण इलाकों में नौ लाख रुपये सालाना तय करने का प्रस्ताव किया था लेकिन सरकार ने इसे नामंजूर कर दिया।
मौजूदा व्यवस्था के तहत अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) क्रीमी लेयर के उम्मीदवार आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के दौरान आरक्षण का लाभ ले सकते हैं लेकिन उनके लिए उपलब्ध सभी सीटें नहीं भर पाती क्योंकि अपेक्षिक संख्या में उम्मीदवार नहीं होते। इस बीच पिछडे वर्ग के छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कैबिनेट ने अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए नयी छात्रवृत्ति योजना को मंजूरी दे दी। यह छात्रवृत्ति नौंवीं और दसवीं के छात्रों के लिए होगी।
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