केंद्र सरकार ने आईआईटी जैसे केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी उपकोटा संबंधी प्रासंगिक दस्तावेज और सामग्री मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में पेश की। यह सामग्री और दस्तावेज वहीं हैं जिनके आधार पर केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी उपकोटा तय किया गया था।
अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल गौरव बनर्जी ने न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की पीठ के समक्ष दस्तावेज पेश किए। पीठ ने कल मानव संसाधन विकास मंत्रालय से यह सामग्री आज अपने समक्ष पेश करने को कहा था।
न्यायालय ने केन्द्रीय शैक्षणिक संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी कोटे में से अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान निरस्त करने के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से कल इंकार कर दिया और मामले की अगली सुनवाई बुधवार को नियत कर दी थी। इस जटिल और संवेदनशील मुददे से निपटने के तरीके को लेकर पीठ ने सरकार की खिंचाई भी की। इसके अलावा न्यायालय ने इस बात पर नाखुशी भी जाहिर की कि केंद्र ने इस मामले के पक्ष में दस्तावेज पेश नहीं किए और दोष उच्च न्यायालय पर मढ़ा।
पीठ ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि 28 मई को उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने, ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण में से अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी उपकोटा तय करने की नीति पर सफाई देने के लिए दस्तावेजों के बिना ही उच्चतम न्यायालय में अपील कर दी। केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी उप कोटा के प्रावधान को रदद करने के उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
केंद्र सरकार ने बरस उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने से पहले 22 दिसंबर 2011 को केंद्रीय शिक्षण संस्थानों और रोजगारों में अल्पसंख्यक समुदाय के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े नागरिकों के लिए उपकोटा के उद्देश्य से कार्यालय ज्ञापन का ऐलान किया था।
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