सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व रेल मंत्री सीके जाफर शरीफ के खिलाफ 1995 के भ्रष्टाचार के मामले की कार्यवाही पर बुधवार को रोक लगा दी। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शरीफ की याचिका पर सर्वोच्च अदालत ने सीबीआई को नोटिस भी जारी किया है। पूर्व मंत्री के खिलाफ विदेश यात्रा के दौरान सरकारी खर्च पर अपने निजी स्टाफ को ले जाने का आरोप है।
जस्टिस पी.सदाशिवम् की अध्यक्षता वाली पीठ ने शरीफ की अपील पर सीबीआई से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। पीठ ने यह आदेश तब पारित किया जब वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव ने दलील दी कि 80 वर्षीय कांग्रेस नेता शरीफ निर्दोष हैं और सीबीआई ‘राई का पहाड़’ बनाने की कोशिश कर रही है।
राव ने कहा कि शरीफ रेल मंत्री के रूप में उस समय अपनी विदेश यात्रा के दौरान निजी स्टाफ को ले जाने का अधिकार रखते थे। शरीफ ने 11 अप्रैल को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी। इससे पहले, हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाले उनके आग्रह को खारिज कर दिया था। निचली अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की समापन रिपोर्ट को मानने से इंकार कर दिया था। साथ ही उनके खिलाफ मुकदमा चलाने को कहा था।
शरीफ पर रेल मंत्री रहते हुए वर्ष 1995 में अपने अतिरिक्त सचिव बीएन नागेश, अन्य कर्मचारी एसएम मस्तान, वी.मुरलीधरन व चालक सीएच समुल्ला को सरकारी खर्च पर अपने साथ लंदन ले जाने का आरोप है। शरीफ अपने इलाज के लिए लंदन गए थे। आरोप है कि वह अपने साथ अनाधिकृत तौर से स्टाफ के चार लोगों को ले गए जिससे सरकारी खजाने को सात लाख रुपये का नुकसान हुआ। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने विदेश यात्रा के दौरान सरकारी खजाने को हुए कथित नुकसान के लिए मंगलवार को शरीफ पर आरोप तय किए थे।
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