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बुधवार, 11 जुलाई 2012

EC ने संगमा की याचिका ख़ारिज की.


निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थित उम्मीदवार पी.ए. संगमा की उस अपील को खारिज कर दिया है.  जिस याचिका में संगमा ने पीठासीन अधिकारी द्वारा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के नामांकन को स्वीकार कर लिए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. भाजपा ने कहा है कि वह जल्द ही कोई फैसला करेगी कि इस मसले को सर्वोच्च न्यायालय में ले जाया जाए या नहीं.

आयोग ने याचिका के जवाब में संगमा के वकील सत्यपाल जैन को लिखे पत्र में कहा, "आपकी याचिका निर्वाचन आयोग के समक्ष अनुरक्षणीय नहीं है." उन्होंने, ‘‘चुनाव आयोग ने गुण-दोषों के आधार पर हमारी याचिका खारिज नहीं की है. उन्होंने न्यायक्षेत्र के आधार पर फैसला किया है. पीए संगमा की कानूनी सलाहकार टीम बुधवार 11 जुलाई उनके आवास पर बातचीत करेगी और संगमा की चुनाव प्रचार समिति परसों चर्चा करेगी, जिसके बाद हम आगे की कार्रवाई पर अंतिम फैसला करेंगे.’’ भाजपा का विधि मोर्चा 11 जुलाई को एक बैठक करेगा और तय करेगा कि आगे क्या कार्रवाई की जानी चाहिए. राष्ट्रपति चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के नामांकन को स्वीकार किया था जिसे संगमा ने चुनौती दी थी.
   
संगमा खेमे ने मुखर्जी की उम्मीदवारी खारिज करने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि वह कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (आईएसआई) के अध्यक्ष के रूप में लाभ के एक पद पर बने हुए हैं. इस याचिका में जैन के अलावा जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी और बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब के हस्ताक्षर थे. संगमा खेमे की इस आपत्ति को पीठासीन अधिकारी द्वारा खारिज किए जाने के बाद 9 जुलाई को टीम संगमा ने लिखित तौर पर इसकी शिकायत निर्वाचन आयोग में की थी.

जैन ने कहा, "भाजपा का विधि मोर्चा 11 जुलाई को एक बैठक करेगा और तय करेगा कि आगे क्या कार्रवाई की जानी चाहिए." उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय जाने का उनका विकल्प खुला हुआ है. कांग्रेस ने इन आरोपों को ओछा बताते हुए एक बार फिर खारिज कर दिया. केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा, "यह ओछा आरोप है." संगमा को भाजपा के अलावा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) और बीजू जनता दल (बीजद) जैसे कुछ विपक्षी दलों का समर्थन है.

चुनाव आयोग ने बुधवार को यह भी कहा कि राजनीतिक पार्टियां राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने या नहीं करने के लिए अपने सदस्यों को व्हिप जारी नहीं कर सकती. आयोग ने कहा कि ऐसा करना एक अपराध होगा तथा इस प्रक्रिया में सांसदों और विधायकों पर दलबदल विरोधी कानून के तहत आयोग्य ठहराये जाने का खतरा नहीं होगा. आयोग ने इस मुद्दे पर संदेहों को समाप्त करते हुए कहा कि ‘‘राजनीतिक पार्टियां इस चुनाव में अपने सदस्यों को एक विशेष तरीके से मतदान करने या नहीं करने के लिए व्हिप जारी नहीं कर सकतीं क्योंकि ऐसा करना भारतीय दंड संहिता की धारा 171 सी के अर्थ के तहत अपराध के समान होगा.’’

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