भारतीय वायुसेना का 126 लड़ाकू विमान खरीदने का इंतजार और लंबा हो सकता है क्योंकि रक्षा मंत्री एके एंटनी ने उस सौदे में सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी का नाम तय करने की प्रक्रिया की समीक्षा करने का फैसला किया है, जिसे फ्रांसीसी कंपनी रैफेल ने यूरोपीय कंपनी यूरोफाइटर को पीछे छोड़कर हासिल किया था।
रक्षा मंत्रालय ने फ्रांसीसी दासाल्ट एविएशन के साथ 126 मध्यम बहुभूमिका वाले लड़ाकू विमानों (एमएमआरसीए) के दामों पर भी बातचीत की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है जिसे पूर्व सांसद मैसूरा रेड्डी की ओर से आपत्ति के बाद कुछ समय के लिए रोक दिया गया था। एंटनी ने रेड्डी को लिखे एक पत्र में कहा कि संविदा समझौता वार्ता समिति (सीएनसी) को निर्देश दिया गया है कि विचार-विमर्श की प्रक्रिया पूरी कर रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाए। आगे कोई कार्रवाई करने से पहले एल1 विक्रेता के बारे में फैसला करने के लिए सीएनसी द्वारा अपनाए गए तरीके के साथ-साथ आपके पत्र एवं इस संबंध में मिले अन्य संदेशों की रक्षा मंत्रालय नए सिरे से पड़ताल करेगा ताकि निश्चित हो सके कि पूरी खरीद प्रक्रिया तर्कसंगत, उचित और तय नियमों के अनुसार है।
रेड्डी ने इससे पहले एंटनी को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि रक्षा मंत्रालय ने मूल्यांकन प्रक्रिया का उल्लंघन किया है और रैफेल को सबसे कम बोली लगाने वाला मानने के लिहाज से गलत फैसला किया है। उन्होंने लिखा था कि मुझे यह भी जानकारी दी गई है कि रैफेल विमान किसी देश को नहीं बेचे गए हैं। भारत ऐसा लड़ाकू विमान क्यों खरीदे जिसे किसी अन्य देश ने नहीं खरीदा है।
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