आमदनी अट्ठन्नी खर्चा रूपया !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 4 जुलाई 2012

आमदनी अट्ठन्नी खर्चा रूपया !!


क्या अम्बेसड़र की जगह टोयटा व होंडा में दिखेंगे अधिकारी व मंत्री?


आजादी के बाद से लेकर अब तक देश के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन लोगों की पहचान बन चुकी अम्बेसड़र कार को दरकिनार करते हुए अब उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री सहित तमाम वीआईपी टोयटा व होंडा की कारों में सफर करते नजर आएंगे! 

हजारों करोड़ों रूपये के कर्जे में डूबे उत्तराखण्ड के अधिकारियों और राजनेताओं को राज्य की माली हालात से लगता है कोई सरोकार नहीं है। राज्य संपत्ति विभाग द्वारा अभी बीते कुछ दिनों पूर्व टोयटा और होंडा जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अत्याधुनिक बेशकीमती कारों का एक प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा गया है। इसके पीछे मुख्यमंत्री सहित कई अन्य नेताओं और नौकरशाहों का कद छहः फुट से ज्यादा होना बताया गया है। इसके पीछे यह तर्क भी दिया गया है कि इन लोगों को अम्बेसडर कार में बैठते वक्त पांवों को मोड़कर बैठना पड़ता है, जिससे यात्रा के दौरान उन्हें अधिक थकावट महसूस होती है। वहीं सुरक्षा कारणों को भी गिनाते हुए कहा गया है कि अत्याधुनिक कारों में जहां एबीएस, ऐयर बैग जैसे सुरक्षा मानकों का होना है। वहीं अम्बेसडर कार में यह सुविधा नहीं। उन्होंने बीते दिनों राज्यपाल के आगरा दौरे के दौरान हुई कार की टक्कर का भी हवाला देते हुए कहा गया है कि अत्याधुनिक कारों की खरीद से महत्वपूर्ण व्यक्तियों को अधिक सुरक्षा मिलेगी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारतवर्ष में दक्षिण भारत के कुछ प्रांतों को छोड़ लगभग समूचे देश में राजनेताओं व महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए अम्बेसडर कार ही प्रयोग की जाती है। इसके पीछे इन कारों का पूर्णतः देश में निर्मित होना है। 

उत्तराखण्ड के अधिकारियों ने इससे पहले वर्ष 2003 में पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के शासनकाल में राज्य के महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए मारूति इस्टीम का प्रस्ताव बनाकर शासन को दिया था, लेकिन शासन ने इस प्रस्ताव को दरकिनार करते हुए अम्बेसडर कारों को ही महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए उचित माना, लेकिन राज्य के पुलिस महानिदेशालय द्वारा कुछ इस तरह की कारों की जरूर खरीद की गई, जिस पर पुलिस अधिकारियों का कहना था कि अम्बेसडर कारों की गुणवत्ता व राज्य की सड़कों की स्थिति को देखते हुए अम्बेसडर कारों का कोई विकल्प नहीं है। यही कारण है कि पुलिस विभाग द्वार बीते वर्ष लगभग एक दर्जन अम्बेसडर कारें अपने महत्वपूर्ण अधिकारियों के लिए खरीदी गई। 

हजारों करोड़ के कर्ज में डूबे उत्तराखण्ड राज्य में 18 से 20 लाख रूपये की कीमत वाली टोयटा व होंडा कारों को खरीदने के पीछे इन अधिकारियों का क्या मकसद है, यह तो वही बता सकते हैं, लेकिन पूर्ववर्ती उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा विधायक निधि से 20 लाख रूपये तक की कारों को खरीदने के प्रस्ताव को विपक्षी दलों ने जहां बचकाना व सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का शगूफा बताया है, वहीं इतनी महंगी कारों को जनता के पैसे से खरीदने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। कांग्रेस, बसपा और भाजपा सहित तमाम विपक्षी दलों ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री की इस घोषणा को अस्वीकार कर दिया है। ऐसे में उत्तराखण्ड के अधिकारियों द्वारा इस तरह की महंगी कारों को खरीदने का प्रस्ताव परवान चढ़ भी पाता या नहीं यह भविष्य पर निर्भर है।


(राजेन्द्र जोशी)

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