सर्वोच्च न्यायालय ने हज यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण व्यक्तियों का निर्धारित कोटा 2,500 से घटाकर 300 करने के अपने 23 जुलाई के फैसले पर अगले साल तक रोक लगाने की केंद्र सरकार की याचिका स्वीकार करने से शुक्रवार को इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से महान्यायवादी जी वाहनवती की याचिका स्वीकार करने से इंकार कर दिया। वाहनवती ने न्यायालय से कहा, ‘मेरी न्यायालय से अपील है कि वीआईपी कोटे के अंतर्गत आने वाली 2,500 सीट को कम करने के निर्णय को एक साल तक के लिए टाल दिया जाए।’
महान्यायवादी ने निजी पर्यटन ऑपरेटर्स की याचिकाओं पर सुनवाई के आखिर में यह अपील की। निजी पर्यटन ऑपरेटर्स पंजीकरण और हज यात्रियों का आवंटन चाहते थे। सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जुलाई को दिए फैसले में वीआईपी कोटे के तहत हज यात्रियों के लिए 2,500 सीट को घटाकर केवल 300 कर दिया था।
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