टीम अन्ना जन लोकपाल और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आज से फिर से अनशन पर बैठ रही है। देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का चेहरा बन चुके अन्ना हजारे व उनकी टीम बुधवार से फिर आंदोलन के मैदान में उतर रही हैं।
इस बार अनशन पर अरविंद केजरीवाल बैठेंगे, लेकिन अन्ना ने कहा है कि सरकार ने चार दिन के अंदर मांगें नहीं मानी तो वे भी आमरण अनशन शुरू कर देंगे। इस बार टीम अन्ना अपने आंदोलन से पूरे राजनीतिक तंत्र का शुद्धीकरण करना चाहती है। इसके लिए उसने 14 कैबिनेट मंत्रियों के साथ ही राजनीतिक दलों के प्रमुखों के खिलाफ लंबित भ्रष्टाचार के सभी मामलों की जांच के लिए भी विशेष जांच दल गठित करने की मांग की है।
अपनी टीम के साथ मतभेद और अनशन में खुद के शामिल होने पर उठ रहे सवालों के बीच अन्ना ने कहा है कि इस आंदोलन में वह भी पूरी तरह शामिल हैं। अपने गांव से अनशन करने का इरादा कर निकले थे, मगर सहयोगियों ने उन्हें फिलहाल रोक दिया है। वे 28 जुलाई तक सरकार का इंतजार करेंगे। अगर मांगें नहीं मानी गई तो 29 से खुद भी आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे।
अनशन पर बैठ रहे केजरीवाल ने कहा, हालांकि उनका आंदोलन जन लोकपाल के लिए ही है, लेकिन उन्हें लगा कि जब तक राजनीतिक तंत्र में भ्रष्ट लोग हावी रहेंगे, यह कानून किसी कीमत पर नहीं बन सकता। इसलिए उन्होंने पहले इस तंत्र के शुद्धीकरण की मांग रखी है। इसके तहत 14 कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ एसआइटी की जांच होनी ही चाहिए, राजनीतिक दलों के जिन प्रमुखों के खिलाफ ऐसे आरोप हैं, उनके खिलाफ भी ऐसी ही एसआइटी बनाई जाए। इसी तरह संसद में बैठे दागी सांसदों के खिलाफ लंबे समय से लटके मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए अलग से फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की जाएं। आंदोलन में बाबा रामदेव की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर अन्ना ने कहा, बाबा बुधवार को ही आने वाले थे, मगर उन्होंने फोन कर कहा है कि वह पासपोर्ट मामले में गिरफ्तार अपने सहयोगी बालकृष्ण के मामले की व्यस्तता की वजह से दो दिन बाद ही आ पाएंगे।
तीन प्रमुख मांगें :
1. भ्रष्ट कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ एसआइटी जांच हो
2. पार्टी प्रमुखों के खिलाफ सभी लंबित मामलों की जांच एसआइटी से
3. आरोपी सांसदों के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बने
सरकार ने गिनाए अपने कदम
भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम अन्ना के अनशन के ठीक पहले पीएमओ ने सरकार की ओर से पिछले एक साल में इस दिशा में उठाए गए कदमों पर बयान जारी किया है। इसके मुताबिक कुछ प्रमुख कदम इस तरह हैं :
1. लोकपाल बिल और व्हिसिल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल को लोकसभा में पास किया गया है।
2. अफसरों पर मुकदमे की मंजूरी तीन माह के भीतर देने को जरूरी कर दिया गया है
3. मंत्री अपने विवेकाधीन कोटे का इस्तेमाल कैसे करेंगे, इसके नियम तय कर उन्हें सार्वजनिक कर दिया गया है।
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