रक्तदान से दूर होता है मंगल दोष... - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 26 जुलाई 2012

रक्तदान से दूर होता है मंगल दोष...


सेहत और समृद्धि देता है यह !!!


प्राचीनकाल से दान-धर्म का महत्त्व सर्वोपरि रहा है। जीवन में समर्थ लोगों द्वारा दान की परम्परा का नियमित क्रम बना हुआ होने पर जीवनयापन की कई समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होने के साथ ही पुण्य संचय का सुख एवं सुकून भी प्राप्त होता है। समूची जीवनयात्रा का असली आनंद तभी पाया जा सकता है जब हम अपने आप में सिमटे न हरें बल्कि हमारे आस-पास रहने वाले लोगों और परिवेश के प्रति पूर्ण संवेदनशीलता और औदार्य का भाव रखें और इनके स्वस्थ विकास में अपनी भूमिकाओं को सुनिश्चित करें। जो व्यक्ति परिवेश, पड़ोसियों और समाज के प्रति संवेदनशील हो जाता है, वह दुनिया के वास्तविक एवं शाश्वत आनंद को पाने का हक़दार हो जाता है। अपने क्षेत्र में रहने वाले, आस-पास विचरण करने वाले, कुटुम्बियों और राष्ट्र की जरूरतों के प्रति समय पर निर्णय लेकर सहयोग और सहकार की भावना रखने वाले लोगों का ही जीवन असली है, पेट और पिटारे भरने वाले लोग तो जैसे आये हैं वैसे ही जाने वाले हैं। संग्रह करने वाले लोग जब जाएंगे, तब अपने साथ कुर्सियाँ अथवा घर-दुकान, प्रतिष्ठान और बैंक लॉकर की चाभी तक नहीं ले जा पाएंगे। जाएगा वही जो पुण्य कमाया है, और पुण्य भी वही जो उनके अलावा किसे भी नहीं पता है। कोई भी पुण्य, दान या परोपकार एक बार जगजाहिर हो जाने के बाद यहीं इसी जमीन पर समाप्त हो जाता है और साथ नहीं जाता।

साथ सिर्फ वे ही अच्छे काम और पुण्य जाते हैं जिनका जिक्र तक कहीं नहीं हो पाया हो। असल में जो काम नाम और छपास की भावना के बगैर होता है वही सच्चा परोपकार और पुण्य है, बाकी सब तो छपास के रोगियों का मानसिक ईलाज ही कहा जाना चाहिए। पर ऐसे लोगों की निन्दा भी नहीं की जानी चाहिए क्योंकि नाम और फोटो की छपास की भावना से ही सही, कम से कम ये लोग कुछ तो कर ही रहे हैं वरना समाज के बहुसंख्य लोग वैसे ही अधमरे पड़े हैं और उनके दिल और दिमाग की सारी खिड़कियाँ अन्दर की ओर ही खुलने वाली हैं जहाँ दिखता है सिर्फ उनका परिवार और अपना घर ही। आज अन्नदान, विद्यादान, वस्त्र दान, धन-धान्य दान आदि दानों पर जोर दिया जाता रहा है। इनके साथ ही अन्य कई दान हैं जिनमें रक्तदान की भूमिका जीवनदायी है। यह एक ऐसा दान है जिसका सीधा संबंध जीवनदान से है और जो लोग रक्तदान करते हैं वे जीवनदाता के रूप में पुण्य संचित करते हैं। इस पुण्य का कोई मुकाबला नहीं। यों शारीरिक दृष्टि से भी समय-समय पर रक्तदान करने से सेहत भी अच्छी रहती है और हार्ट अटैक, कॉलेस्ट्रोल, रक्त विकारों आदि कई बीमारियों का स्वतः निदान होता रहता है। लगातार रक्तदान करने वालों का रक्त ताजा और संतुलित होता है और इससे उनके जीवन में भी ताजगी देखी जा सकती है। व्यक्ति के जीवन में रक्तदान से कई प्रकार के परिवर्तन अपने आप आ ही जाते हैं।

चिकित्सा विशेषज्ञ भी इस बात को कहते रहे हैं कि हर व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। इससे कई समस्याएं अपने आप ठीक हो जाती हैं। रक्तदान की नियमितता से रुधिर के नवीनीकरण और निरन्तर उत्पादन की प्रक्रिया भी मजबूत होती है। जिसके शरीर में रक्त अच्छा होता है, उसकी सेहत भी अच्छी होती है। सभी दानों को कर चुके लोगों को भी सोचना चाहिए कि रक्तदान करने से भी क्यों चुकें। यहाँ हम रक्तदान के योग एवं ज्योतिषीय पहलुओं पर ही चर्चा करें तो रक्तदान जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति की राह प्रशस्त करता है। रक्त का सीधा संबंध पृथ्वी व जल तत्व से है तथा ग्रहों में इसका रिश्ता मंगल से है जो कि लाल रंग का प्रतिनिधि कहा जाता है। पृथ्वी तत्व का संबंध मूलाधार से है जिसके अधिष्ठातृ दैव भगवान गणेशजी हैं तथा यहाँ का बीज मंत्र ‘लं’  हैं। जिन लोगों के किसी भी प्रकार के काम रुके हुए हैं, जमीन-जायदाद और मकान से संबंधित परेशानी हो, भय की भावना रहती हो, बार-बार दुर्घटनाओं में रक्त बहने जैसी समस्याएं सामने हों, उनके लिए मंगल के सभी दोषों का परिहार रक्तदान से हो जाता है। व्यक्ति के जीवन में जितना रुधिर शरीर से निकलना लिखा होगा, उतना निकलेगा ही। चाहे वह दुर्घटना से निकलकर बह जाए या और किसी कारण से। ऐसे में रक्तदान कर लिए जाने मात्र से इस होनी को टाला जा सकता है और जीवन में दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।

जिन लोगों को मांगलिक दोष है और इस वजह से दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा है, घर में कलह है, शादी नहीं हो पा रही है, उनके लिए मंगल को प्रसन्न करने के लिए रक्तदान से बड़ा कोई पुण्य है ही नहीं। मात्र रक्तदान कर लिए जाने से ही मांगलिक दोष का परिहार हो सकता है। शेष सभी प्रकार के दान उपयोग के बाद नष्ट हो जाने वाले और जड़ होते हैं, सिर्फ रक्तदान ही एकमात्र ऐसा दान है जो सदैव चेतन रहता है और दशकों तक जीवंत स्वरूप में ही  रहता है इसलिए इस सदा-जीवंत व चेतन दान का महत्त्व सबसे अधिक है। इस दान में दाता का अहंकार भी नहीं होता क्योंकि हमें अधिकांशतया यह पता भी नहीं होता कि हमारा दिया हुआ खून किसे चढ़ाया गया है। इसी प्रकार जिसे चढ़ाया जाता है उसे भी नहीं पता होता है कि यह किसने दिया है। इस प्रकार दाता और ग्रहण करने वाले दोनों के लिए यह गुप्त दान के रूप से अनंत पुण्य का सृजन करता है। मंगल खराब होने की वजह से कई लोगों के काम रुके रहते हैं। इन लोगों के लिए भी रक्तदान करना ठीक होता है। मंगल की दशा चल रही हो, गोचर या जन्म कुण्डली में मंगल का बुरा प्रभाव हो, ऐसे सभी लोगों को रक्तदान से फायदा हो सकता है। इन सभी लोगों को मंगलवार के दिन रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान से अग्नि दुर्घटनाओं का भी खतरा टल जाता है। मंगल भूमिपुत्र है इसलिए भूमि से संबंधित जो भी काम मंगल के कारण रुके हुए हों, उनका समाधान भी रक्तदान से हो सकता है। मकान के योग नहीं बन रहे हों, जमीन से संबंधित कोई समस्या हो, खेत में अनाज बराबर नहीं पक रहा हो, कीटों का खतरा हो, रिसोर्ट, होटल, फार्म हाउस में कोई दिक्कत हो अथवा भूमि से संबंधित कोई भी परेशानी हो, इसका कारक ग्रह मंगल है और मंगल का दोष निवारण करने तथा मंगल को प्रसन्न रखने के लिए रक्तदान को अपनाया जाए तो काफी हद तक हमारी समस्याओं का समाधान शीघ्र हो सकता है।

जमीन में गड़े हुए धन की प्राप्ति से लेकर जमीन की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाने तक सारे कामों में मंगल को खुश करने के लिए खून का दान किया जाना चाहिए। मंगल लाल रंग वाला ग्रह है। लाल रंग सौभाग्य का प्रतीक है तथा गुस्से का भी। जिन लोगों को बात-बात में गुस्सा आता हो, चिड़चिड़ापन हो तथा मानसिक उद्विग्नता रहती हो, उन लोगों का स्वभाव भी रक्तदान से बदल सकता है। इसी प्रकार दाम्पत्य और प्रेम संबंधों को प्रगाढ़ करने, सुख-सौभाग्य की निरन्तरता बनाए रखने में भी मंगल प्रभावी कारक होता है। प्रेम संबंधों के लिए शुक्र कारक ग्रह जरूर है जिसके प्रभावी होने पर ही प्रेम होता है लेकिन मंगल यदि ठीक नहीं होगा तब प्रेमी-प्रेमिका या पति-पत्नी में बात-बात में कुतर्क और संघर्ष की स्थितियां पैदा होंगी, इसलिए प्र्रेमी युगलों के लिए और दाम्पत्य सुख को निरन्तर तथा प्रगाढ़ बनाए रखने के लिए भी रक्तदान का सहारा लिया जाकर मंगल को प्रसन्न रखा जा सकता है। योग मार्ग का आश्रय ग्रहण करने वाले लोगों के लिए भी चक्रों में जागरण में रक्तदान से मदद मिल सकती है। पृथ्वी तत्व की सिद्धि और मंगल की प्रसन्नता के बगैर मूलाधार चक्र का जागरण तक संभव नहीं है। जीवन में जितनी अधिक बार संभव हो, रक्तदान करें और सेहत तथा समृद्धि का लाभ पाएं।


---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077

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