राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्मृति चिह्न अब जल्द ही भारत लौट आएंगे। दस जुलाई को नीलामी किए जाने से पहले नीलामीकर्ता सोदबी के साथ केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय का समझौता होने के बाद कई सामग्रियां भारत को वापस की जाएगी, जिसमें महात्मा गांधी से जुड़ी हजारों सामग्रियां भी है।
मंत्रालय द्वारा चुकायी गयी रकम का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन यह राशि चार से छह करोड़ रूपये के बीच होने का अनुमान है क्योंकि सोदबी को इन संग्रहों से 500,000 और 700,000 पाउंड के बीच धन मिलने का अनुमान था। भारत सरकार के सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि सोदबी के साथ करार पर हस्ताक्षर किये गये हैं और अब इन सामग्रियों की बोली नहीं लगेगी।
इसकी पुष्टि करते हुए सोदबी ने कहा है, ‘‘गांधी कलेनबाख संग्रह अब नीलामी की सामग्री से हटा लिया गया है। इसकी 10 जुलाई को सोदबी अंग्रेजी साहित्य, बच्चों की किताब और इलेस्ट्रेशन पर नीलामी होने वाली थी।’’ संग्रह में कई ऐसे महत्वपूर्ण पत्र भी हैं जिससे गांधी और वास्तुविद हर्मन कलेनबाख के बीच के विवादस्पद संबंधों पर प्रकाश पड़ता है। कलेनबाख दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी के सबसे घनिष्ठ सहयोगियों में से थे। देश लाये जाने के बाद इन संग्रहों को नयी दिल्ली के राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखे जाने की उम्मीद है।
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