बिहार अब सभी सेवारत व सेवानिवृत कर्मचारियों के लिए एक समान स्वास्थ्य योजना शुरू करने पर विचार कर रही है. मंगलवार को विधानसभाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी की अध्यक्षता में दलीय नेताओं की बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य योजना की तर्ज पर प्रस्तावित बिहार स्वास्थ्य योजना की रूपरेखा पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया.
बैठक में भाजपा तथा कांग्रेस का प्रतिनिधित्व नदारद रहा. परिषद में विपक्ष के नेता गुलाम गौस भी अनुपस्थित रहे. बैठक में प्रस्तावित योजना की कमियां व खामियां को लेकर कई सवाल उठे. अंतत: अगली बैठक होगी, जिसमें योजना में विधानमंडल के सदस्यों की सहभागिता को अंतिम रूप देने पर सहमति बनी. विधानसभाध्यक्ष के कक्ष में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, संसदीय कार्य मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, परिषद के उप सभापति सलीम परवेज, विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, मुख्य सचिव नवीन कुमार, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी और वित्त विभाग के वरीय अधिकारी सहित अन्य कई दलों के नेता व अधिकारी शरीक हुए.
विधानसभाध्यक्ष ने बैठक के बाद कहा कि प्रदेश में शुरू हाने वाली नई स्वास्थ्य योजना का लाभ मौजूदा व पूर्व विधायकों को भी मिले, इस पर मुख्य रूप से विचार होना था. इस संबंध में कई दलों के नेताओं से अभी विचार-विमर्श होना बाकी है. विचारोपरांत एक सप्ताह के अंदर वे अपनी सहमति दे देंगे. उन्होंने कहा कि यह लाभान्वितों के लिए अंशदायी योजना होगी. इसके लिए सभी कर्मियों को अपने एक माह का अंतिम मूल वेतन देना होगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत पूर्व न्यायाधीशों को विधानमंडल सदस्यों के समरूप चिकित्सा सुविधा मिलनी है. अब सबों के लिए समान चिकित्सा सुविधा की योजना लागू होगी. विपक्ष के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के अनुसार सरकार की ओर से विशेष रूप से सेवानिवृत राज्यकर्मियों के हितों को ध्यान में रखकर प्रस्तावित योजना के नाम पर उनकी आपत्ति थी.
मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना के रूप में नई योजना की रूपरेखा बनी थी. पहले से लगभग 40 योजनाएं मुख्यमंत्री के नाम पर चल रही हैं. राज्य सरकार योजना का नाम बदलने पर सहमत हुई. इस योजना का लाभ पूर्व विधायकों व पूर्व न्यायाधीशों को भी मिलना है. सरकार नई योजना के तहत सीजीएचएस की तर्ज पर ओपीडी की सुविधा शुरू करना चाहती है. स्मार्ट कार्ड भी देना चाहती है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी ने कहा कि राज्य सरकार ने बिहार स्वास्थ्य योजना शुरू करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया है. इस योजना में सेवारत व सेवानिवृत सभी राज्यकर्मियों व अधिकारियों के साथ सेवानिवृत न्यायाधीशों व विधानमंडल के सदस्यों को भी शामिल करने का प्रस्ताव है.
पेंशन समाज की ओर से अवकाशप्राप्त आईएएस अधिकारी आईसी कुमार और विजय शंकर दूबे के सुझावों पर भी चर्चा हुई. राज्य के पूर्व मुख्य सचिव श्री दूबे ने अलग बातचीत में कहा कि अवकाशप्राप्तकर्मियों के लिए सीजीएचएस अत्यंत परेशान करने वाला तथा कई मायनों में अव्यावहारिक साबित हो रही है. आये दिन गंभीर अनियमितताओं व भ्रष्टाचार की भी शिकायतें सुनने का मिलती हैं. उनकी राय में राज्य सरकार के सेवनिवृत कर्मियों को स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत आउटडोर सुविधा के तहत एकमुश्त राशि मासिक 1500 रुपये देने पर विचार करना चाहिए. आकलन है कि नई योजना पर सालाना कम से कम 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इस योजना का लाभ सुगम-सुलभ कैसे हो, इसकी पूरी तैयारी की जानी चाहिए. नई योजना की शुरुआत स्वागतयोग्य कदम होगा, पर यह सेवानिवृत कर्मियों की उम्मीदों के अनुरूप होना चाहिए.
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