मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना हवाई अड्डा विवाद पर कड़ी नाराजगी जताई है। सोमवार को जनता दरबार के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि हवाई अड्डे के संचालन में राज्य सरकार की कौन सी भूमिका है? यह तो सीधे-सीधे केन्द्र की जिम्मेदारी है। राज्य सरकार अपनी तरफ से सहयोग देती है।
भारतीय विमान प्राधिकरण ने नालंदा और पावापुरी के बीच हवाई अड्डा बनाने पर सहमति जताई है। वे अपनी योजना पेश करें, राज्य सरकार जमीन अधिग्रहण करके देगी। लेकिन केन्द्र सरकार और विमान प्राधिकरण किसी एक निर्णय पर कायम नहीं रहते। वे बार-बार प्रस्ताव देकर कदम खींच लेते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हवाई अड्डे को लेकर लगातार सातवें साल विवाद पैदा किया जा रहा है। हद तो यह है कि हवाई अड्डे के लाइसेंस नवीकरण की जिम्मेदारी भारतीय विमान प्राधिकरण की है, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार को ही कोशिश करनी पड़ती है।
केन्द्र पटना हवाई अड्डे के विस्तारीकरण का फिर से प्रस्ताव देता है तो राज्य सरकार विचार करेगी। नए हवाई अड्डे के लिए जमीन चाहिए तो वह भी देंगे। और, अगर प्रस्ताव नहीं देना है यह भी उनकी मर्जी। वर्ष 2006 में केन्द्र ने फुलवारीशरीफ की ओर हवाई अड्डे के एक्टेंशन का प्रस्ताव दिया। राज्य सरकार ने हामी भर दी, लेकिन केन्द्र पीछे हट गया। पटना हवाई अड्डे के लिए हर साल जैविक उद्यान के पेड़ों की छंटाई होती है। अगर कोई पेड़ काट कर पूरे ग्रीन बेल्ट को ही खत्म करने को कहेगा तो यह असंभव है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि गत दिनों नालंदा अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय पर दिल्ली में हुई मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में विमान प्राधिकरण के अधिकारियों ने नालंदा-पावापुरी के बीच हवाई अड्डे की स्थापना पर सहमति जताई। विश्वविद्यालय के टर्म्स ऑफ रेफरेंस में ही उल्लेख है कि वहां हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन और एनएच संपर्क होना चाहिए। अगर प्राधिकरण तैयार है तो जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। लेकिन वे प्रस्ताव तो दें। जहां तक सवाल बिहटा में हवाई अड्डा का है तो अब वहां जमीन अधिग्रहण संभव नहीं है। क्योंकि बिहटा में अनेक संस्थानों के लिए पहले ही बड़े पैमाने पर जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। प्राधिकरण ने वहां जमीन देखी थी लेकिन इसके लिए एक गांव को विस्थापित करना पड़ जाएगा।
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