गोपालगंज के पूर्व डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
गौरतलब है कि कृष्णैया की हत्या में पटना की निचली अदालत ने आनंद मोहन को 2007 में फांसी की सजा सुनाई थी। आनंद मोहन के साथ पूर्व मंत्री अखलाक अहमद और अरुण कमार को भी मौत की सजा सुनाई गई थी। बाद में हाई कोर्ट ने सजा को उम्रकैद में बदल दिया। इसी मामले में अदालत ने आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, मुन्ना शुक्ला, शशि शेखर और हरेन्द्र कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने दिसंबर 2008 में सबूत के अभाव में इन्हें बरी कर दिया था।
5 दिसंबर 1994 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में जिस भीड़ ने डीएम की हत्या की थी उस भीड़ का नेतृत्व आनंद मोहन और उनके साथ सजा पाए नेता कर रहे थे। एक दिन पहले मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी। इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान मुजफ्फरपुर के रास्ते पटना से गोपालगंज जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने मुजफ्फरपुर के खबड़ा गांव में हमला कर दिया था। हमले में डीएम की मौत हो गई थी। गौरतलब है कि आनंद मोहन ने जेल से ही 1996 का लोकसभा चुनाव समता पार्टी के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की थी। 2 बार सांसद रहे आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भी एक बार सांसद रह चुकी हैं।
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